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नया कलेक्ट्रेट भवन ऐसा होगा, वास्तुकला का रखा गया है पूरा ध्यान, ये रहेगा खास

locationसागरPublished: May 18, 2018 01:04:23 pm

Submitted by:

manish Dubesy

भवन के पास में ही बनेगा स्मार्ट सिटी का कमांड सेंटर

Architecture has been kept meditation New Collectorate Building

Architecture has been kept meditation New Collectorate Building

शशिकांत ढिमोले. सागर. पीली कोठी के सामने बन रहे कलेक्ट्रेट के नए भवन का ६० फीसदी काम पूरा हो गया है। वास्तुकला के लिहाज से यह भवन आधुनिक तो होगा ही, इसमेंं सभी तरह की सुविधाएं भी होंगी। भवन के पास में ही स्मार्ट सिटी का कमांड सर्विस सेंटर भी बनेगा। कलेक्ट्रेट भवन के दो ब्लॉक होंगे, वर्तमान में एक ही ब्लॉक बनाया जा रहा है। लगभग १३ करोड़ की लागत से बन रहे भवन में आधुनिक सुविधाओं सहित व्यवस्थित पार्किंग भी रहेगी।


पीली कोठी के सामने बन रहा नया कलेक्ट्रेट भवन के पास में ही स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का ऑफिस होगा। पूर्व में यह कार्यालय नगर निगम के बाजृू में सहकारी बैंक की जमीन पर बनना था, लेकिन कलेक्टर आलोक कुमार सिंह ने इसे कलेक्ट्रेट भवन के पास ही बनाने के निर्देश दिए हंै। बताया जा रहा है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत आने वाली करोड़ों की राशि से नगर में काम होगा। पीआइयू के एसडीओ यूसी यादव के अनुसार तीन मंजिला इस भवन का निर्माण दिसंबर तक पूरा हो जाएगा।
०७हजार आठ सौ वर्गफीट में ले रहा आकार
०३ मंजिला होगा इस कलेक्टे्रट का आधुनिक भवन
१३करोड़ लागत, दिसंबर तक पूरा हो जाएगा काम
निर्माण में वास्तुकला का समावेश किया जा रहा है। आज के दौर में वास्तुकला का बड़ा महत्व है। यहां आधुनिक सुविधाएं होंगी।
आलोक कुमार सिंह, कलेक्टर

वास्तुकला क्या है, जानिए प्रकार

. जल- पृथ्वी का तीन-चौथाई भाग जल से प्लावित है तथा एक-चौथाई भाग भूमि है। सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में पृथ्वी 365 दिन लगाती है। दिन और रात इसका प्रमुख आकर्षण हैं। यह विशेष गुण, गंध, तत्व से संबंधित हैं।
पृथ्वी- यह अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। इसके दो केंद्र उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव हैं। यह अपनी धुरी पर, अंश पर झुकी है।

वास्तु कला दो प्रकार की होती है-
उत्तर भारतीय वास्तुशास्त्र एवं दक्षिण भारतीय वास्तुशास्त्र।

वर्तमान में दोनों का मिश्रण चल रहा है। भारतीय वास्तुशास्त्र का आधार देवता एवं पंच तत्व यथा आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी है।
भारतीय वास्तुशास्त्रानुसार भूमि खरीदने से पहले भूमि परीक्षण, भूमि पूजन, नींव पूजन, भवन पूरा होने पर गृह प्रवेश-पूजन आदि करवाना अनिवार्य है। वास्तुशास्त्र वस्तुत: व्यवस्थित भवन बनाने की कला है जिससे व्यक्ति देवताओं को प्रसन्न रखते हुए पंच तत्व व सूर्य का पूर्णतया लाभ पाता रहे।
* भवन निर्माण के समय ध्यान रखें कि दक्षिण-पश्चिम की दीवारें कुछ ऊंची होनी चाहिए, भले वे 1 इंच हों, परिवार की सुख-समृद्धि के लिए सुखदायी रहेगी।

* यदि आपका प्लॉंट वर्गाकार है, तब उसमें आगे की जगह छोड़ते हुए पीछे की तरफ मकान बनाना चाहिए।
* यदि आपका प्लॉंट आयताकार है, तब उसमें मकान आगे ही बनाना चाहिए।

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