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आशुतोष राणा ने सुनाए शरारत के किस्से, कॉलेज के दिनों को याद किया

locationसागरPublished: Nov 25, 2022 06:20:28 pm

Submitted by:

Manish Gite

स्वर्ण जयंती सभागार में विद्यार्थियों से संवाद कार्यक्रम में बोले आशुतोष- यह विवि नहीं होता तो मैं सागर नहीं आ पाता, जो कुछ हूं सर गौर की बदौलत

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सागर। सर गौर ने विश्वविद्यालय नहीं बनाया होता तो शायद आज मैं अपना यह मुकाम हासिल नहीं कर पाता। लोग मुझे काय आशुतोष, काय राणा कहकर ही बुलाते। इस विश्वविद्यालय की वजह से मैं गाडरवारा से सागर आ सका और अपने पूज्य गुरु दद्दाजी से सान्निध्य प्राप्त कर आगे बढ़ा हूं। मैं सर गौर का आजीवन ऋणी हूं और उनकी 153वीं जयंती पर उनको नमन करता हूं।

यह बात गौर उत्सव पर स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित ‘विद्यार्थियों से संवाद’ कार्यक्रम के दौरान कुलसचिव संतोष सोहगौरा द्वारा पूछे गए प्रश्र के जवाब में प्रख्यात सिने अभिनेता आशुतोष राणा (ashutosh rana) ने कहे।

दरअसल कुलसचिव ने उनसे गौर साहब से सबसे अच्छी सीख के संबंध में सवाल पूछा था। फिल्म अभिनेता राना (ashutosh rana) ने कहा कि डॉ. गौर (hari singh gour university) एक व्यक्ति से व्यक्तित्व बने। जब उन्होंने अपनी पूंजी से इस विश्वविद्यालय की स्थापना की और आज हम सबके बीच वे एक विचार के रूप में स्थापित है। उन्होंने सागर विश्वविद्यालय को स्थापित कर यहाँ शिक्षा की नींव रखी।

 

एनएसडी जैसे संस्थान हो शुरू

विवि की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने विवि से छात्र जीवन में उनकी अपेक्षाएं, सपने और विवि की बेहतरी के लिए सुझाव मांगे। राणा ने कहा कि वे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता या कार्यक्रम में प्रतिनिधित्व का सपना वे देखते थे, जिसमें वे युवा उत्सव, एनएसएस के माध्यम से भाग लेते थे।

उन्होंने कुलपति को सुझाव दिया कि सागर विवि में एनएसडी जैसा संस्थान फिल्म एंड टेलीविजऩ इंस्टिट्यूट, स्थापित हो और इस फील्ड से जुड़े पाठ्यक्रम शुरू किए जाएं। कार्यक्रम में कलेक्टर दीपक आर्य, पुलिस अधीक्षक तरुण नायक ने भी संवाद किया। संचालन सांस्कृतिक परिषद के समन्वयक डॉ. राकेश सोनी ने किया। परिचय डॉ. आशुतोष ने प्रस्तुत किया।

 

हॉस्टल के कमरे में नहीं लगाते थे ताला

सहपाठी रहे मनोज शर्मा ने उनके विद्यार्थी जीवन से जुड़े कई रोचक प्रसंग छेड़े। जैसे उनके हॉस्टल के कमरे में कभी ताला क्यों नहीं लगा, उनके खाने के मित्रों के बारे में, दूसरों की शर्ट आदि पहनने के रोचक किस्से पूछे। राणा ने कई दिलचस्प किस्से साझा किए। जैसे वह परीक्षा के लिए तैयारी कैसे करते थे। उन्होंने बताया कि सहपाठी जो पढ़ते थे वे बस उन्हें जोर से पढ़ने को कहते थे और सुन कर ही उन्हें याद कर लेते थे।

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