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mp election 2018 : मतदाता बोले- बिचौलिया सब नास कर बे पे तुले

locationसागरPublished: Oct 27, 2018 08:25:01 pm

बंडा विधानसभा: अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंचा योजनाओं का लाभ

बंडा विधानसभा: अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंचा योजनाओं का लाभ

Banda Constituency

सागर. सागर जिले की आठ विधानसभाओं में से एक बंडा विधानसभा में विधानसभा चुनाव का अलहदा मामला है। मतदाताओं में क्षेत्र के विकास मुद्दे गौड़ और चेहरा ही चुनाव में पहली पसंद है। शहरी कस्बों के साथ ही ग्रामीण अंचलों में बीसियों साल से यहां की पेयजल की समस्या ज्यादातर ठीक नहीं है। भाजपा के शासनकाल में इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट के कार्य तो हुए हैं और जन-कल्याणकारी योजनाआें का लाभ भी लोगों को मिला है, लेकिन अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक अभी भी नहीं पहुंचा। लोगों का मानना है कि क्षेत्र के विकास की दिशा में अभी और कार्य करना होंगे। साथ ही लोगों में मुद्दों के प्रति जागरूकता लाना होगी। चुनावी तैयारियों को लेकर जहां भाजपा ने बूथ स्तर तक मजबूत किलेदारी कर ली है, वहीं कांग्रेस चुनावी भिड़ंत में पीछे चल रही है। कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह है कि यहां सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही है, लेकिन यह टक्कर भी कांग्रेस प्रत्याशी के चयन पर ही निर्भर होगी।

इशारों-इशारों में कर देते हैं हकीकत बयां
बंडा के बरा चौराहे पर बस स्टैंड होने से यहां पर शहरी व ग्रामीण अंचलों के लोगों की भीड़ हरदम बनी रहती है। चुनावी चर्चा के लिए भी लोगों का मजमा लगा रहता है। यह बात जरूर है कि लोग सीधे तौर पर पार्टी या प्रत्याशी के संदर्भ में खुलकर बोलने से कतराते हैं, लेकिन दबी जुबान और इशारों-इशारों में वे हकीकत भी बयां कर देते हैं। जिले की खुरई, रहली विधानसभा के साथ ही बंडा की सीमाएं उप्र से भी सटी हैं। इस वजह से आसपास के इलाकों में हुए कार्यों को लेकर भी लोगों में चर्चा का अहम बिंदु रहता है। इसके अलावा इस क्षेत्र में जातीय समीकरण भी चुनाव परिणामों पर असर डालते हैं। उप्र से सटे इलाकों में बसपा का भी प्रभाव है। बसपा जीतने की स्थिति में भले ही न हो लेकिन वोटों में सेंध जरूर लगाती है।

 

बंडा विधानसभा: अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंचा योजनाओं का लाभ


निर्माण कार्य तो हो रहे लेकिन धीमी गति से, पेयजल और सिंचाई के संसाधन कम
गांव तक पहुंचने वाली सड़क की हालत अच्छी नहीं है। निर्माण कार्य तो हो रहा है लेकिन धीमी से परेशानी होती है। पेयजल, सिंचाई के संसाधन कम होने से भी गांव की करीब 700 की आबादी को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अरविंद परिहार, चील पहाड़ी

सरकार ने योजनाएं तो दीं, लेकिन उनका लाभ अभी भी मिलना बाकी है। शिवराज और मोदी तो सब कर रए, मनो बिचौलिया सब नास कर बे पे तुले हैं। को जीत है को नई जा अबे नई के सकत, बो तो टिकिट के बादई बता पे हैं।
कालूराम जाटव, खारमऊ

वोट किसे दें? प्रत्याशी की घोषणा के बाद ही तय होगा। नगर में पेयजल की मजबूत व्यवस्था जरूरी है। सड़कें तो बन गई हैं, लेकिन अनियंत्रित यातायात व्यवस्था परेशानी का सबब बन जाती हैं। स्थानीय प्रतिनिधि ज्यादा कार्य करते हैं, कमोबेश बाहरी के।
विकास जैन, किराना व्यापारी

पगरा डैम परियोजना 25 साल पुरानी है, उसके निर्माण से पेयजल और सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। भाजपा का मुकाबला करने कांग्रेस को मजबूत प्रत्याशी लाना होगा। क्षेत्र में विकास के कार्य हो रहे हैं। लेकिन ग्रामीण अंचलों में अब भी कार्यों की जरूरत है।
अनिल गौतम, स्थानीय निवासी

चुनावी तैयारियों में भाजपा मजबूत, कांग्रेस कोसों दूर
चुनावी तैयारियों को लेकर भाजपा और कांग्रेस तमाम कवायद कर रही हैं। इस मामले में भाजपा ने संगठन स्तर पर करीब एक साल पूर्व से तैयारियां आरंभ कर दी थीं, लिहाज वह अपनी जीत के प्रति निष्चिंत है। क्षेत्र के लोग भी मानते हैं कि सरकार ने जो योजनाएं दी हैं उनका लाभ भी मिला है, लेकिन लोगों का यह भी मानना है कि गरीबों तक यह लाभ नहीं मिल पा रहा।

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