यह है मामला
सीएमएचओ कार्यालय द्वारा २३ मई को ऑनलाइन टेंडर आमंत्रित किए गए थे, जिसके माध्यम से माइकिंग, वॉल पेंटिंग, नुक्कड़ नाटक, कठपुतली डांस, कच्ची लिखाई आदि कार्य और सेवाओं के लिए संस्थाओं, संगठनों को पात्र मानते हुए आवेदन बुलाए गए। लेकिन प्रक्रिया में अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए एनजीओ जैसी संस्थाओं को पात्र मानने के बावजूद उनसे जीएसटी नंबर के साथ टेंडर स्वीकार करने की शर्त भी रख दी गई। शिकायतकर्ता कपिल कोरी ने आगामी विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के दौरान पक्ष विशेष को लाभान्वित करने की मंशा भी जताई है।
अब आगे क्या
टेंडर प्रक्रिया में विभागीय मैन्युअल की अनदेखी की गई। परीक्षण में पूरी प्रक्रिया को सैद्धांतिक रूप से रद्द कर दिए जाने की स्थिति नजर आ रही है।
अपने हित साधने अजब-गजब प्रावधान
०१. एनसीओ व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन नहीं करते, उनके द्वारा अनुदान पर सामाजिक सरोकार के लिए काम किया जाता है। एेसे में उनसे जीएसटी रजिस्ट्रेशन मांगा गया। जबकि एनजीओ के लिए अनिवार्य नहीं है।
०२. व्यावसायिक फर्मों को प्रिंटिंग, स्टेशनरी आदि के लिए जैम रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है। लेकिन टेंडर प्रक्रिया में व्यावसायिक फर्मों के हितों की चिंता की गई और उन्हें इस प्रावधान से छूट देने के लिए शर्तों में इसे शामिल ही नहीं किया गया।
०३. शासकीय कार्यों के लिए वाहनों के क्रय करने या किराए का अनुबंध करने निविदा में वाहन का मूल्य और उसके मेक के संबंध में प्रावधान किए जाते हैं टेंडर प्रक्रिया में वाहन की निर्माता कंपनी का उल्लेख किया गया जो कि परिवहन नियम के
अनुरूप अनुचित है।
०४. चश्मा खरीदी के लिए एेसी फर्मों को मान्य किया जिनका टर्न ओवर १० लाख रुपए सालाना से अधिक हो। जबकि निविदा शर्तों में व्यावसायिक फर्म के टर्न ओवर संबंधी शर्त का कोई औचित्य नहीं।