बसंत पंचमी पर शिवालयों में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की लगुन भी लिखी जाती है। भूतेश्वर मंदिर में कई कार्यक्रम होंगे। इसके बाद शिवरात्रि पर माता पार्वती और भोलेनाथ का विवाह होगा। शहर के सभी शिक्षण संस्थानों में ज्ञान की देवी मां सरस्वती का हवन-पूजना होगा। इस दौरान बच्चे ज्ञान की देवी का पूजन कर बुद्घि का वरदान मांगेंगे। बसंत पंचमी का महत्व धर्मग्रंथों के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं, तब समस्त देवी-देवताओं ने मां सरस्वती की स्तुति की थी। कहते हैं कि इन स्तुति के जरिए वेदों की ऋचाएं बनीं। बता दें कि बसंत पंचमी को देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता हैं। शिक्षा प्रारंभ करने या किसी नई कला की शुरूआत करने के लिए ये दिन शुभ माना जाता है। इस दिन कई लोग गृह प्रवेश भी करते हैं।
पंचमी तिथि का प्रारंभ – शनिवार प्रात: 3.47 बजे से
पंचमी तिथि का समापन- रविवार को प्रात: 3.46 बजे तक
शुभ मुहूर्त- दोपहर 12.13 बजे से दोपहर 12.57 बजे तक
सरस्वती पूजा के लिए मुहूर्त- 5 फरवरी को प्रात: 7.07 बजे से लेकर दोपहर 12.35 बजे तक
बसंत पंचमी के दिन रवि योग- शाम 4.09 बजे से अगले दिन प्रात: 7.06 बजे तक
सिद्ध योग- 5 फरवरी को शाम 5 बजकर 42 मिनट तक