ये किया जा रहा
टेस्ट में छात्रों के लिए हिंदी विषय में पढऩा, पढ़कर-समझना तथा लिखना और गणित विषय में अंक पहचान, संख्या पहचान, गुणा, भाग और मापन, ज्यामिति आकृतियों के बिंदुओं पर वर्तमान दक्षता का परीक्षण किया जा रहा है।
कहानी से हैं दूर
25 जून से आयोजित इस टेस्ट में स्कूलों में स्थिति चौंकाने वाली मिल रही है। 50 प्रतिशत बच्चे भी हिंदी की पुस्तक नहीं पढ़ पा रहे हैं। टेस्ट में अक्षर, शब्द, वाक्य और कहानी स्तर को देखा जा रहा है। जिले की 2300 स्कूलों के कक्षा 3 से 8वीं में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं शामिल हुए हैं। यह टेस्ट स्कूलों में सोमवार से शुरू हुआ था और शनिवार को अंतिम दिन है। डीपीसी एचपी कुर्मी ने बताया कि प्राथमिक शाला कुड़ारी, माध्यमिक कन्या शाला बंडा और प्राथमिक शाला बंडा का निरीक्षण किया है, यहां 100 प्रतिशत बच्चे कहानी के स्तर पर नहीं मिले। वे पुस्तक नहीं पढ़ पा रहे हैं। कई बच्चे तो अक्षर स्तर पर हैं।
दो माह का समय
स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी, शाला प्रबंधन समिति एवं पालक भी इस टेस्ट के संचालन एवं मॉनिटरिंग में सहभागिता कर रहे हैं। जिन विद्यार्थियों का स्तर निम्न है उसे सुधारने के लिए शिक्षकों को दो माह का समय दिया जाएगा। 30 जून को टेस्ट खत्म होने के बाद शिक्षक विद्यार्थियों का स्तर सुधारेंगे।