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जिंदगी की हर शाम होने के पहले हमें धन्यवाद कहना है : मुनि सुधा सागर

वर्णी भवन मोराजी में धर्मसभा  सागर. व्यक्ति सुबह उठता है तब अधूरा रहता है। दिन भर में कुछ ऐसा करना चाहिए कि शाम होने के पहले अनुभव में आ जाए कि मैं पूर्ण हो गया हूं। मैंने जो सोचा था वह सब कुछ मैंने कर लिया और उसका अंत समय विश्राम दिशा में होना चाहिए। […]

सागरJan 03, 2025 / 06:47 pm

नितिन सदाफल

मुनि सुधा सागर

मुनि सुधा सागर

वर्णी भवन मोराजी में धर्मसभा 

सागर. व्यक्ति सुबह उठता है तब अधूरा रहता है। दिन भर में कुछ ऐसा करना चाहिए कि शाम होने के पहले अनुभव में आ जाए कि मैं पूर्ण हो गया हूं। मैंने जो सोचा था वह सब कुछ मैंने कर लिया और उसका अंत समय विश्राम दिशा में होना चाहिए। महीना खत्म होने के पहले हमें एक दिन पहले से ही अपने माह की पूर्णत: का अनुभव होना चाहिए, इस माह में जो सोचा था वह सब कुछ हो गया। हमें अपनी जिंदगी को थैंक्स कहना है कि हे जिंदगी! हे आयु! हे कर्म! तुझे बहुत-बहुत शुक्रिया, जो तूने मुझे 1 साल पूर्ण करने का मौका दिया। यह बात मुनि सुधासागर महाराज ने वर्णी भवन मोराजी में आयोजित धर्मसभा में कही।
उन्होंने ऐसे ही जब जिंदगी की शाम हो, शाम होने के पहले हमें धन्यवाद कहना है। शास्त्रों में है जिसे कहते हैं समाधि, सब कुछ क्षमा करके सबसे क्षमा मांग कर, सारे संबंधों को पूर्णत: का रूप देकर मरना है। जो हमारी जिंदगी में आया वह भी अहो भाग्यशाली मान रहा और मेरी जिंदगी में जो आया है, मैं भी भाग्यशाली हूं। कितनी उपकारी है प्रकृति, हर दिन के बाद रात करती है क्योंकि दिन को फिर पुन: मुहूर्त करती है। वहीं सूर्य तुम्हें मुहूर्त देने आया था, तुम कर पाए या नहीं कर पाए, रात भर प्रकृति अंधेरे में रहकर के उसी सूर्य को प्रात:काल निकालकर के तुम्हे फिर मंगलाचरण का सौभाग्य देती है। यदि रात नहीं होती तो प्रात:काल नहीं होता और प्रात:काल नहीं होता तो मंगल बेला नहीं होती।

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