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जानिए किस तरह भावांतर के फेर में फंसकर बेबस हो गए किसान

locationसागरPublished: May 11, 2018 04:46:37 pm

खेती को लाभ का धंधा बनाने का दम भरने वाली प्रदेश सरकार किसानों के साथ एक तरह से छलावा करने में जुटी है

Before purchase, 75 percent fall in onion prices

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सागर. खेती को लाभ का धंधा बनाने का दम भरने वाली प्रदेश सरकार किसानों के साथ एक तरह से छलावा करने में जुटी है। इसका प्रमाण मुख्यमंत्री भावांतर योजना बयां कर रही है। प्रदेश में सबसे पहले भावांतर योजना से चना, मसूर व सरसों को बाहर किया जाता है। केवल लहसुन-प्याज को इस योजना के माध्यम से खरीदने की घोषणा की जाती है। इसके बाद प्रदेश में न के बराबर पैदावार वाली लहसुन की खरीदी तो शुरू कर दी जाती है, लेकिन प्याज की खेती करने वाले किसानों को अब भी भावांतर योजना का लाभ लेने के लिए १६ मई तक खरीदी शुरू होने का इंतजार करना पड़ेगा। हालांकि जिले में एेसे कम ही किसान हैं, जिन्होंने योजना का लाभ लेने के लिए प्याज बचाकर रखी है, क्योंकि ८० प्रतिशत उपज तो बीते साढ़े तीन माह में किसान बेच चुके हैं।
प्रदेश में प्याज के लिए सरकार ने आठ रुपए प्रति किलो का समर्थन मूल्य तय किया है। जबकि वर्तमान में मंडियों में व्यापारियों द्वारा की जा रही खरीदी में प्याज ३ से अधिकतम 6 रुपए प्रति किलो बिक रही है। शादी-ब्याह के सीजन के चलते रुपयों की जरूरत होने के कारण किसानों को मजबूरन कम कीमत पर प्याज व्यापारियों को बेचनी पड़ी। अब किसानों के पास प्याज न के बराबर बची है।
इसकी पुष्टि मंडी में बीते एक सप्ताह से घट रही आवक बयां कर रही है। कुछ दिन पहले छह से आठ हजार क्विंटल आवक थी, जो अब एक से ड़ेढ हजार क्विंटल तक रह गई है। अब तक किसानों ने ३.५ लाख क्विंटल प्याज खुली नीलामी में बेची है। पिछले साल करीब पौने पांच लाख क्विंटल प्याज बेची थी। इसी तरह समय निकलने के बाद शुरू की गई समर्थन मूल्य की खरीदी में किसानों के पास केवल १६ हजार क्विंटल प्याज ही निकली थी। इसमें से भी करीब १० क्विंटल प्याज व्यापारियों ने किसानों के नाम से बेच दी थी।
प्रदेश स्तर पर उठाएंगे मामला
किसान कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री आनंद तोमर का कहना है कि इस मुद्दे को प्रदेश स्तर पर लेकर जाएंगे। जब किसानों के पास बेचने के लिए प्याज बची ही नहीं है तब भावांतर योजना शुरू करने जा रहे हैं। अब तक कम दाम में बेची गई उपज का अंतर किसानों को चुका दें।
२० लाख क्विंटल है पैदावार
उद्यानिकी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में प्याज का रकबा 9.5 हजार हेक्टेयर है। इसकी उत्पादकता 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इस हिसाब से जिले में इस साल 19 से 23 लाख क्विंटल प्याज की पैदावार हुई है, जबकि मंडी में साढ़े तीन लाख क्विंटल के
करीब आवक हुई है।

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