तन को स्वस्थ, मन को मस्त, आत्मा को पवित्र बनाने का अभिनव प्रयोग है भावना योग- मुनिश्री
भावना योग शिविर का आयोजन

बीना. मुनिश्री प्रमाणसागर ने तीन दिवसीय भावना योग शिविर में हजारों लोगों को असीम शांति का मार्ग प्रशस्त करने की कला से पारंगत किया। भावना योग करते हुए उन्होंने बताया कि तन को स्वस्थ्य, मन को मस्त और आत्मा को पवित्र बनाने का अभिनव प्रयोग है भावना योग। आधुनिक मनोविज्ञान के अनुसार हम जैसा सोचते हैं वैसे संस्कार हमारे अवचेतन मन पर पड़ जाते हैं, वे ही प्रकट होकर हमारे भावी जीवन को नियंत्रित और निर्धारित करते हैं।
उन्होंने बताया कि कहा जाता है थाट बिकम थिंग अर्थात् विचार साकार होते हैं। भावना योग का यही आधार है। इसके माध्यम से हम अपनी आत्मा में छिपी असीमित शक्तियों को प्रकट कर सकते हैं। आधुनिक प्रयोगों के आधार पर यह बात सुस्पष्ट हो चुकी है कि भावनाओं के कारण हमारी अंत: स्रावी ग्रन्थियों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। इसके आधार पर अनेक गंभीर बीमारियों की चिकित्सा भी की जा रही है। यदि हम नियमित भावना योग करें तो इसका लाभ उठाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इसे न्यूरोकोइम्यूनोलॉजी के रूप में भी जाना जाता है। इसी सिद्धान्त पर विचार करते हुए मैंने भावना योग को तैयार किया है। यह वही प्राचीन वैज्ञानिक साधना है जिसे हजारों वर्षों से अपनाकर जैन मुनि एवं समस्त धर्मों के साधु-संत अपना कल्याण करते रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन ब्र. विमल भैया, सहयोग ब्र. रूपेश भैया ने किया।
आज होगा शिविर का समापन
मुनिश्री प्रमाणसागर, मुनिश्री अरहसागर महाराज के सान्निध्य में आयोजित भावना योग शिविर के समापन पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अशोक शाकाहार ने बताया कि सुबह 6 बजे से भावना योग का शुभारंभ होगा और इसके बाद मुनिश्री के प्रवचन होंगे। रविवार को मुनि संघ के खुरई की ओर विहार करने की संभावना है।
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