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भाजपा सरकार ने ही कर दी थी भावांतर योजना पर ताला लगाने की शुरूआत

locationसागरPublished: Jan 21, 2019 09:14:52 pm

शासन में रहते ही अधिकांश उपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू कर चुकी थी भाजपा सरकार, किसानों ने स्वयं माना योजना में किसानों से ज्यादा व्यापारियों ने उठाया फायदा, हर तरफ से ठगा गया किसान।
 

भाजपा सरकार ने ही कर दी थी भावांतर योजना पर ताला लगाने की शुरूआत

भाजपा सरकार ने ही कर दी थी भावांतर योजना पर ताला लगाने की शुरूआत

सागर. प्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा शुरू हुई भावांतर भुगतान योजना को बंद करने की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। कांग्रसे सरकार ने इसके संकेत भी दे दिए हैं, लेकिन हकीकत देखें तो भावांतर भुगतान योजना पर ताला लगाने की शुरूआत प्रदेश की पिछली यानी भाजपा सरकार ने ही शुरू कर दी थी। इसकी पुष्टि वित्तीय वर्ष 2017-18 में और 2018-19 में भावांतर योजना में शामिल की गई उपजें कर रहीं हैं। पिछले साल जहां सरकार ने सोयाबीन के साथ उड़द, मूंग, अरहर सहित अन्य फसलों को भावांतर योजना में रखा गया था तो इस साल इनमें से सोयाबीन को छोड़कर शेष सभी फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू कर दी थी। यदि कांग्रेस सरकार अब भावांतर योजना बंद करती है तो इसे मात्र एक औपचारिक घोषणा बस समझा जा सकता है।
– 2.58 लाख क्विंटल की हुई खरीदी
भावांतर योजना के तहत शामिल फसलों में से मंडी में केवल सोयाबीन की ही आवक हुई है। कृषि उपज मंडी सागर में योजना के तहत 19 जनवरी तक 2.58 लाख क्विंटल सोयाबीन की खरीदी की गई है। इसके अलावा जिले की शेष 12 मंडी और 7 उपमंडियों में भी लाखों क्विंटल की खरीदी होना बताया जा रहा है। शासन ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य 3300 रुपए रखा है और भावांतर योजना के तहत किसानों को प्रति क्विंटल 500 रुपए का भुगतान सरकार की ओर से किया जाना है।
– किसान बोले योजना में काफी विसंगतियां
भाजपा सरकार के अनुसार ही प्रदेश में प्रति हेक्टेयर उपज निर्धारित की गई थी। प्रदेश में उड़द, मूंग और अरहर का रकबा और उपज ज्यादा है इसलिए इनकी पैदावार 6-7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मानी गई, तो सोयाबीन 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन मान्य हुआ। वहीं कम रकबा वाली मक्का का उत्पान 39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तो मूंगफली की उत्पादन 20 क्विंटल माना गया।
अभिषेक चौबे, किसान

भावांतर योजना के तहत किसानों से ज्यादा फायदा व्यापारियों ने उठाया है। पहले तो किसानों को गुणवत्ता के फेर में उलझाकर उपज नहीं खरीदी गई और बाद में जब किसान ने व्यापारियों को सस्ती दरों पर अपनी बेच दी तो वही उपज व्यापारियों ने फर्जी किसान बन शासकीय खरीदी में खपा दी। शासन-प्रशासन की मदद से जिले में हुए एेसे फर्जीवाड़े उजागर हो चुके हैं।
मुकेश गुरु, किसान

– 19 तक हुई खरीदी
भावांतर योजना के तहत उपज की खरीदी 19 जनवरी तक होनी थी। इसमें 2.58 लाख क्विंटल सोयाबीन की खरीदी हुई है। किसानों को 500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से अंतर की राशि दी जाएगी।
एके ताम्रकार, सचिव, कृषि उपज मंडी, सागर
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