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आवासों के लिए डिजाइन ही नहीं दी, 58  करोड़ हुए बर्बाद

locationसागरPublished: Aug 09, 2018 11:30:55 am

Submitted by:

sunil lakhera

बीएलसी फर्जीवाड़ा: निगम इंजीनियर्स, आभा सिस्टम और एनजीओ कृष्णा प्रेम सर्वोदय समिति की लापरवाही

Blc forgery municipal Corporation

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सागर. केंद्र सरकार ने जिस मकसद के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना के बीएलसी घटक की शुरुआत की थी, उस पर नगर निगम सीमा क्षेत्र में पानी फिर गया है।
बीएलसी घटक के तहत चिन्हित हुए हितग्राहियों को आवास बनाने के पूर्व निगम प्रशासन की ओर से डिजाइन उपलब्ध कराई जानी थी। हितग्राहियों को इसी डिजाइन के आधार पर अपने भवन का निर्माण करना था, लेकिन शहर में तय डिजाइन के मुताबिक एक भी आवास का निर्माण नहीं किया गया है, क्योंकि निगम प्रशासन की आेर से हितग्राहियों को डिजाइन उपलब्ध ही नहीं कराई गई है।
नगर निगम प्रशासन बीएलसी घटक के तहत करीब 58 करोड़ रुपए की राशि बांट चुका है और करीब 19 करोड़ की राशि निगम के खंजाने में जमा है। निगम के इंजीनियर्स, पीएमसी यानि आभा सिस्टम एंड कंसल्टेंसी और एनजीओ कृष्णा प्रेम सर्वोदय समिति को इस बात की मॉनीटरिंग करनी थी, जिन्होंने अपने कार्य में लापरवाही की। हैरानी की बात यह है कि इतना सब होने के बाद भी इन जिम्मेदारों पर कार्रवाई होने के बजाय अब यही दूसरे कर्मचारियों की जांच कर रहे हैं।
इन बेचारों का क्या दोष
मेरा बीएलसी सूची में नाम है, क्योंकि में पात्रता रखता हूं, फिर भी आज तक किस्त
जारी नहीं की गई।
दीपक रजक, राजीव नगर
मैं तहसील के पास झोपड़ी में रहती हूं। निगम में कई बार दस्तावेज जमा कर चुकी हूं। सूची में नाम है या नहीं, इसकी जानकारी नहीं। किश्त भी नहीं मिली।
वंदना यादव, डॉ. हरिसिंह गौर वार्ड
इधर वार्ड पार्षद के समर्थन में आए लोग
बुधवार को रविशंकर वार्ड पार्षद गायत्री घोषी के समर्थन में वार्डवासियों ने निगम प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि पार्षद में लगाए गए आरोप गलत हैं। इसकी जांच कराई जा सकती है। गौरतलब है कि पिछले दिनों पार्षद द्वारा अपने परिजनों को बीएलसी घटक के लाभांवित किए जाने की बात सामने आई थी।
यह कहती है गाइडलाइन
1. आवासीय इकाई निर्माण के लिए निगम द्वारा विभिन्न आवासीय इकाइयों का डिजाइन तैयार कर हितग्राही को उपलब्ध करायेगी। इन आवासीय इकाइयों के मानचित्र अपनाये जाने पर हितग्राही को भवन अनुज्ञा प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन निगम भू-स्वामित्व एवं मप्र भूमि विकास अधिनियम-2012 के प्रावधानों का परीक्षण करेंगे।
2. हितग्राही को पक्के आवास में एनबीसीसी के मानक अनुसार दो कमरे, एक रसोई घर एवं शौचालय का निर्माण कराना आवश्यक है।
3. निर्माण कार्य हितग्राही द्वारा 12 माह से पूर्व किया जाएगा।

इसलिए नहीं दिख रहे शहर में नए आवास
बीएलसी घटक में पात्र हितग्राहियों को यदि लाभ मिला होता तो शहर में 5 हजार से ज्यादा नए आवास बनते दिखाई दे रहे होते। निगम प्रशासन ने करीब 5 हजार लोगों एक या दो किश्तें जारी कीं हैं लेकिन शहर का एक क्षेत्र भी एेसा नहीं दिख रहा कि शासन की इतनी बड़ी योजना शहर में संचालित हो रही है।

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