सागरPublished: Aug 12, 2018 04:59:58 pm
manish Dubesy
कलेक्टर के पास लंबित है तीसरी डीपीआर
BLC scheme wraps Crore rupees from Bhopal Expenses incurred
40 हजार रुपए की दर से आया था 1142 हितग्राहियों का पैसा, निगम ने 2255 और 3156 वाले हितग्राहियों को थमा दी राशि , सागर से लेकर भोपाल तक चल रही गड़बडि़यां
सागर. बीएलसी घटक के तहत बनाई गई तीसरी डीपीआर में ११४२ हितग्राही शामिल हैं। इस डीपीआर को भोपाल स्तर पर स्वीकृति मिलने के बाद 40 हजार रुपए प्रति हितग्राही की दर से करीब 4.50 करोड़ की राशि जारी की गई, लेकिन नगर निगम के जिम्मेदारों ने इस राशि को दूसरे हितग्राहियों में बांट दी है।
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि वर्तमान में तीसरी डीपीआर की फाइल कलेक्टर आलोक कुमार सिंह के पास है और अभी उनके कार्यालय से इसको स्वीकृति नहीं दी गई है। इसके बावजूद निगम प्रशासन ने राशि का बंदरबांट कर दिया है।
हितग्राहियों के लिए कर रहे परेशान
निगम के इंजीनियर्स, आभा सिस्टम और एनजीओ कृष्णा प्रेम सर्वोदय समिति की लापरवाही के कारण पात्र हितग्राही लगातार परेशान हो रहे हैं। जिन हितग्राहियों के नाम पर पैसा आया है, उनकी डीपीआर कलेक्टर के यहां से स्वीकृत होने के बाद निगम प्रशासन कहां से राशि जमा करेगा, यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।
इधर कंसल्टेंट को आंशिक भुगतान
जिन हितग्राहियों के नाम पर भोपाल से राशि जारी हुई थी, उनके पास तक भले ही पैसा न पहुंचा हो लेकिन निगम के जिम्मेदारों ने कंसल्टेंट एजेंसी की सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ी। डीपीआर पूर्ण रूप से स्वीकृत होने के पूर्व ही निगम प्रशासन ने तीसरी डीपीआर के नाम पर एजेंसी को लाखों रुपए का भुगतान कर दिया है। मजेदार बात यह है कि यह भुगतान जनवरी-2018 में ही कर दिया गया।
भोपाल में अफसर जेब गरम कर रहे
नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग भोपाल में बैठक अफसर आंखें बंद करके भ्रष्टाचार व फर्जीवाड़ा करने में जुटे हैं। सूत्रों की माने तो बीएलसी की तीसरी किश्त वर्ष-2017 के आखिर में आ गई थी लेकिन डीपीआर बाद में स्वीकृत हुई। इतना ही नहीं कलेक्टोरेट से भी फाइल स्वीकृत नहीं हुई फिर भी राशि आने के बाद उसको खर्च कर लिया गया। भोपाल स्तर पर लापरवाही का यह लगातार चौथा मामला है। इसके पूर्व भोपाल से स्वीकृत डीपीआर में करीब ११२ नाम रिपीट निकल आए थे, जिसमें आभा सिस्टम एंड कंसल्टेंसी का बड़ा हाथ था।