भर्ती प्रक्रिया की नियम शर्तों में उल्लेख है कि पदों पर साफ स्वच्छ-छवि वाले डॉक्टरों की ही भर्ती की जाए। अन्य मेडिकल कॉलेजों में गड़बड़ी की शिकायतों पर पीएस राधेश्याम जुलानिया ने इस संबंध में वीसी कर स्पष्ट रूप से निर्देशित किया था कि खाली पदों को बेदाग छवि वालों से भरा जाए। न मिले तो पद खाली रखा जाए।
वर्जन
जानकारी के अनुसार मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. देंवेंद्र अहिरवार ने दूसरे चरण की भर्ती प्रक्रिया में भाग लिया है। अहिरवार के विरुद्ध एनपीएम मामले की जांच १३ सितंबर २०१७ को शुरू हुई थी। जांच समिति में अधीक्षक डॉ. आरएस वर्मा, डॉ. प्रदीप फडनीस और डॉ. अभय तिर्की हैं। इसमें कुछ एेसे दस्तावेज भी समिति को दिए गए हैं, जिसमें यह स्पष्ट होता है कि डॉ. अहिरवार एनपीए लेने के बाद प्रायवेट प्रेक्टिस करते हैं। साथ ही उन्होंने निजी अस्पताल में प्रेक्टिस कर साढ़े चार लाख रुपए अर्जित किए हैं। नियमानुसार जो भी डॉक्टर एनपीए लेता है तो वह प्रायवेट प्रेक्टिस नहीं कर सकता।
डीन बोले: अभी पद
पर नियुक्ति नहीं की
& विभागीय जांच के संबंध में मैंने ही पिछले महीने विभागीय जांच बैठाई थी। जांच चल रही है, जल्द ही रिपोर्ट मिल जाएगी। अभी पद पर नियुक्ति नहीं की है, पद इसी वजह से होल्ड पर रखा है। डॉ. जीएस पटेल, डीन