बीएमसी में बनेगा प्रदेश का पहला झूलाघर ऑफिस से महिला कर्मचारी रखेंगी नजर
सागर. बीएमसी में प्रदेश का पहला झूलाघर बनने जा रहा है। प्रबंधन ने इसे जरूरी मानते हुए प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, प्रबंधन ने शासन स्तर से अनुमति के लिए भी डीएमइ को पत्र भेज दिया है।
बीएमसी में महिला स्टाफ की संख्या अच्छी खासी है। उनमें कई एेसी हैं, जिनके बच्चे काफी छोटे हैं। देखभाल के लिए परिवार के अन्य सदस्यों के साथ न रहने की स्थिति में वे बच्चों की देखभाल नहीं कर पाती हैं। मजबूरन वे अपने-अपने बच्चों को बीएमसी लेकर आती हैं। एेसे में कार्य प्रभावित होता है।
वहीं बच्चों पर भी सही ढंग से ध्यान नहीं दे पाती। इसी उद्देश्य से डीन डॉ. जीएस पटेल ने एक झूलाघर बनाए जाने का निर्णय लिया है।
ऑडिटोरियम के एक कमरे में बनेगा झूलाघर: झूलाघर के लिए बीएमसी प्रबंधन के पास दो विकल्प है। पहला एनीमल हाउस में खाली पड़ा हॉल और दूसरा ऑडिटोरियम में अनुपयोगी कमरा। हालांकि प्रबंधन ऑडिटोरियम को इसके लिए उपयुक्त मान रहा है। डीन डॉ. पटेल ने सहायक अधीक्षक डॉ. उमेश पटेल को ऑडिटोरियम में झूलाघर शुरू करने के निर्देश दिए। साथ ही झूलाघर के लिए जरूरी खिलौने, एसी और देखभाल करने वाले कर्मचारी की तैनाती के विषय में नियमों का अध्ययन करने को कहा है।
ऑफिस में बैठे-बैठे रखेंगे बच्चों पर नजर: प्रबंधन इसे प्ले स्कूल की तर्ज पर भी देख रहा है। झूलाघर में प्ले स्कूल जैसी सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। साथ ही एक केयर टेकर भी तैनात
किया जाएगा।
लेकिन इस सबके बीच प्रबंधन आधुनिक प्रणाली को भी इसमें शामिल कर रहा है। हॉल में कैमरे लगाए जाएंगे। इन कैमरों को बच्चों के अभिभावकों के वाट्सऐप से कनेक्ट किया जाएगा। इससे ऑफिस में बैठे-बैठे महिला कर्मचारी अपने बच्चों की निगरानी कर सकती हैं।
यदि झूलाघर बनता है तो महिला कर्मचारियों के कार्यस्थल से बार-बार घर जाने की झंझट से भी छुटकारा मिलेगा।
&महिला कर्मचारियों के बच्चों को देखभाल की जरूरत होती है। झूलाघर बेहद जरूरी है। इसे प्ले स्कूल की तर्ज पर तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
डॉ. जीएस पटेल, डीन बीएमसी