जिले के कई किसान अब भी अपनी फसलों की कटाई व थ्रेसिंग करने में व्यस्त हैं। जल्दी फसल की बोवनी करने वाले किसानों ने तो समर्थन मूल्य केंद्रों में या फिर मंडी में जाकर उपज बेंच दी है, लेकिन कुछ किसान अब भी खेतों में गेहूं की कटाई व थ्रेसिंग कर रहे हैं। व्यापारियों के अनुसार इस बार गेहूं का विदेशों में ज्यादा निर्यात होने की वजह से कई किसानों ने 20 से 25 दिन पहले ही मंडी में गेहूं बेचना शुरू कर दिया था।
किसानों को नहीं मिल पीने का पानी कृषि उपज मंडी में रोजाना हर रोज हजारों किसान आ रहे हैं। लगभग दो किलोमीटर के दायरे में फैली मंडी में प्यास बुझाने के लिए लगाए गया हैंडपंप खराब पड़ा हुआ है। दो बोरिंग में से पानी नहीं आ रहा है। हर सेड पर वॉटर कूलर की व्यवस्था की गई थी।15 हजार रुपए की कीमत से वॉटर कूलर आए थे लेकिन अब आधे से ज्यादा वॉटर कूलर सेड से ही गायब हैं। इसके चलते जब भी किसानों और आढ़तियों को प्यास लगती है तो उन्हें मंडी के बाहर बनी दुकानों से पानी की बोतल खरीदकर पीनी पड़ती है। आढ़तियों पर तो इसका कोई खास असर नहीं पड़ता है, लेकिन मंडी आने वाले किसानों को अपनी मेहनत की कमाई पानी पर खर्च करनी पड़ती है।
सुरक्षा नहीं होने से उखड़ गए नल
मंडी में जहग-जगह पाने के लिए पानी के लिए नल लगाए गए थे। सुरक्षा नहीं होने से नल उखड़ गए हैं। कहीं भी पानी की टंकियों में भी पीने का पानी का इंतजाम नहीं है। मंडी प्रबंधन ने गर्मी में प्याऊ की भी शुरूआत नहीं की है। ऐसी स्थिति में किसान परेशान हो रहे है।
मंडी में जहग-जगह पाने के लिए पानी के लिए नल लगाए गए थे। सुरक्षा नहीं होने से नल उखड़ गए हैं। कहीं भी पानी की टंकियों में भी पीने का पानी का इंतजाम नहीं है। मंडी प्रबंधन ने गर्मी में प्याऊ की भी शुरूआत नहीं की है। ऐसी स्थिति में किसान परेशान हो रहे है।