सागर

bmc अस्पताल में पुलिस की मदद के लिए लोग ढूंढ़ते रहते हैं चौकी

बीएमसी में पिछले हिस्से में चौकी की शिफ्टिंग से पुलिस तक पहुंचने में भटक रहे लोग

सागरOct 24, 2017 / 01:22 am

संजय शर्मा

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सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की कैजुअल्टी से पुलिस चौकी की शिफ्टिंग अब हादसों या आपराधिक प्रकरण के दौरान बीएमसी पहुंचने वाले पीडि़तों के लिए मुश्किलों की वजह बनने लगी है। पहले बीएमसी में गेट पर ही पुलिस की मदद मिल जाती थी लेकिन अब चौकी पिछले हिस्से मंे शिफ्ट होने से लोग उसकी तलाश में ही भटकते रहते हैं। रात के समय तो यह परेशानी और भी बढ़ जाती है, लेकिन जिम्मेदार लगातार मामले सामने आने के बावजूद इस ओर आंख-कान बंद किए हैं जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। उधर पुलिसकर्मी भी कैजुअल्टी और चौकी के बीच दौड़भाग के चलते पंचनामा, मर्ग रिपोर्ट की कार्रवाई को लेकर परेशान हैं।
यह है उलझन
मर्जर के समय जिला अस्पताल से पुलिस चौकी को भी बीएमसी के कैजुअल्टी वार्ड में जगह दी गई थी। चौकी के लिए जगह कम पडऩे पर प्रबंधन ने बीएमसी के पिछले हिस्से में सेंट्रल गैस प्लांट के पास खाली वार्ड आवंटित कर दिया गया था। पिछले हिस्से में शिफ्टिंग से कैजुअल्टी में विवाद की स्थिति में पुलिस पहुंचने में देरी की बात से अवगत कराया गया था। पुलिस और बीएमसी के अधिकारियों द्वारा इस पर गंभीरता नहीं दिखाई गई और मामला ठंडे बस्ते में चला गया जबकि चौकी के लिए कैजुअल्टी के पास किसी दूसरे स्थान का भी चयन किया जा सकता था। जहरीला पदार्थ खाने, आग से झुलसी हालत और दुर्घटना की चपेट में आए घायल व बेसुध मरीजों की हालत के अनुरूप उनके बयान कराने की जरूरत होती है। पहले कैजुअल्टी में चौकी होने से एेसे मामले में पुलिसकर्मी तत्काल बयान दर्ज कराते थे। अब स्थिति यह है कि जब तक बीएमसी से मेमो नहीं पहुंचता कई मामले पुलिस को पता ही नहीं चलते।
ये होती है परेशानी
बीएमसी की कैजुअल्टी से पुलिस चौकी की दूरी करीब ढाई सौ मीटर है। पिछले हिस्से में होने से यह स्पष्ट रूप से नजर नहीं आती है। विवाद या अन्य आपात स्थिति में पुलिस की जरूरत होने पर जरूरतमंद को उस तक पहुंचने के लिए पहले लोगों से पूछताछ करनी पड़ती है। इसमें काफी समय लग जाता है और फिर वह तलाश करते हुए चौकी तक पहुंचता है। मुश्किल तब और बढ़ जाती है जब चौकी पहुंचने पर वहां पुलिसकर्मी नहीं मिलते।
कैज्युल्टी में विवाद
मेडिकल कॉलेज, महिला एवं शिशु रोग इकाई में अकसर किसी न किसी बात को लेकर विवाद की स्थिति बनी रहती है। कभी मरीज के उपचार से असंतुष्ट परिजन और डॉक्टर आपस में भिड़ जाते हैं तो कुछ मामलों में उपचार के दौरान मरीज की मौत विवाद खड़ा कर देती है। एेसे मामलों में पुलिस की समय पर मौजूदगी महत्वपूर्ण होती है लेकिन चौकी के पिछले हिस्से में होने से अब पुलिस को काफी देर बाद विवादों का पता चलता है।
हाल में ये हुईं घटनाएं
1. द्वितीय तल पर शराब के नशे में वार्ड में घुसे किशोरों ने मरीजों के साथ आए अटेंडर के मोबाइल चुरा लिए थे। इन्हें सुरक्षा गार्डों द्वारा पकड़े जाने पर वे झगड़ा करने पर उतारू हो गए थे। यदि पुलिस मौके पर होती तो यह स्थिति नहीं बनती।
2. बीएमसी में रात के समय कैजुअल्टी में अब पुलिस कम ही नजर आती है और केवल गेट पर गार्ड की तैनात होते हैं। इसका फायदा असामाजिक तत्व उठाते हैं। पिछले माह एक युवक ने नशे में एक महिला से छेड़छाड़ कर दी थी।
3.महिला इकाई में एक माह पहले प्रसव के लिए भर्ती महिला की प्रसव पीड़ा से छटपटाते हुए मौत हो गई थी। आक्रोशित परिजनों ने वहां हंगामा कर डॉक्टरों पर आरोप लगाए थे। तब भी पुलिस चौकी तक सूचना पहुंचने में काफी देर हो गई थी।
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