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बुंदेलखंड का वोटर: भगवामय बुंदेलखंड के चुनाव मैदान में नजर ही नहीं आई कांग्रेस

locationसागरPublished: Jul 21, 2022 11:34:08 am

जानें इस चुनाव में आपके क्षेत्र की जनता ने दिया कौन सा सबक
नगरीय निकाय चुनाव: वोटर ने सूबे के हर इलाके से दिया सियासी सबक

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सागर@बृजेश कुमार तिवारी

चुनावी वादों और दावों के नतीजे अब सबके सामने हैं… किसी के गले में जीत का ‘हार’ आया तो किसी के चिंतन में… दावे और वादे अब भी हो रहे हैं… इन सबके बीच मध्यप्रदेश में नई स्थानीय सरकारें आकार ले रही हैं… गांव से लेकर कस्बों और शहरों तक आकार ले रही हैं जनता की उम्मीदें भी… इन आशाओं पर खरे उतरकर ही राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव में अपने नैया पार लगा सकेंगे… बहरहाल हम विश्लेषण कर बता रहे हैं कि इन चुनावों से किसे क्या सबक मिला… कौन कहां मजबूत रहा और कहां कमजोर…

ऐसे समझें बुंदेलखंड का सियासी सबक
त्रिस्तरीय पंचायत एवं स्थानीय निकाय चुनाव में बुंदेलखंड भगवामय हो गया है। कांग्रेस को लाज बचाने दो नपा में जीत मिली। भाजपा ने सागर नगर निगम सहित छतरपुर, मकरोनिया, रहली, बीना, देवरी नगर पालिका में परचम लहराया।

टीकमगढ़ और दमोह में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी जिला पंचायत, जनपद पंचायत में भाजपा की एकतरफा जीत हुई। पूरे बुंदेलखंड के चुनाव परिणाम भाजपा को उत्साहित करने वाले हैं। चुनाव में कोई हवा या मुद्दा नहीं था जो जनता को प्रभावित कर सके, वोटर पूरे समय मौन ही रहा।

यह निश्चित तौर पर संगठन जीत और कांग्रेस की कमजोरी की हार है। सागर निगम को छोड़कर कांग्रेस पूरे चुनाव में कहीं मैदान में नजर नहीं आई। टीकमगढ़ और दमोह के परिणाम कांग्रेस के लिए संजीवनी हो सकते हैं, लेकिन इसमें कांग्रेस की मेहनत कम और भाजपा की गलतियां ज्यादा मददगार रहीं। टीकमगढ़ में विधायक राकेश गिरी की कार्यप्रणाली और नपा के भ्रष्टाचार से नाराज जनता ने भाजपा को हराया। विधायक की बार-बार शिकायत पर भी संगठन ने डैमेज कंट्रोल नहीं किया।

दमोह में संगठन के बार-बार प्रयोग और जयंत मलैया परिवार की बगावत पार्टी को ले डूबी। सिद्धार्थ मलैया ने खुलकर विरोध किया। अपने प्रत्याशी उतारे। इससे भाजपा के वोट कटे। इसका असर दमोह नगर पालिका से जिला-जनपद पंचायत तक के परिणाम में दिखा। संगठन की गलतियों से सत्ता की चाबी निर्दलियों के हाथों में चली गई।

2018 के विधानसभा चुनाव में लोधी वोटों का ध्रुवीकरण हुआ था। नतीजा यह हुआ भाजपा और कांग्रेस से लोधी विधायक जीतकर आए थे। इस चुनाव में जैन, ब्राह्मण वोटों का ध्रुवीकरण हुआ। भाजपा और कांग्रेस इसका तोड़ नहीं निकाल पाईं। सागर निगम चुनाव में जैन बाहुल्य वार्डों में जैन प्रत्याशी और ब्राह्मण बाहुल्य वार्डों में ब्राह्मण प्रत्याशी के पक्ष में जमकर वोटिंग हई। जिला और जनपद पंचायत में सीधे तौर पर जाति के आधारपर ही वोट पड़े।

लंबे समय से सत्ता में रही भाजपा के प्रति भी लोगों की नाराजगी सामने आने लगी है। नैपथ्य में जा रहे पुराने नेता और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से उपजी बगावत भाजपा के लिए अब चिंता का विषय बनता जा रहा है।

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