बस मालिकों ने कहा पांच महीने से बसें बंद होने से लोगों ने खरीद लिए स्वयं के वाहन, बसों के धंधे पर पड़ेगा असर
लॉकडाउन के बाद अन्य दिनों की अपेक्षा बीस प्रतिशत अधिक वाहन उठे

बीना. पूरे पांच महीने से बसें बंद हैं, पहले कोरोना के कारण बसों को बंद रखा गया और अब टैक्स माफ करने की मांग को लेकर बस संचालक बसें नहीं चला रहे हंै। बसें बंद होने कारण स्थिति यह है कि ऐसे लोगों ने भी वाहन खरीद लिए हैं जिन्हें वाहन की या तो आवश्यकता नहीं थी या फिर उतने रुपए खर्च नहीं कर सकते थे। नकद की बजाय लोग वाहन फायनेंस करा रहे हैं, जिससे फायनेंस कंपनियों की चांंदी हो रही है। बस मालिकों ने भी अब बसें शुरू होने के बाद पहले जैसा धंधा नहीं होने की बात कही है। गौरतलब है कि लॉकडाउन से ही बस सेवा बंद होने के कारण लोग एक जगह से दूसरी जगह नहीं जा पा रहे थे, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने वाहन खरीदे हैं। यदि हम ऑटो मोबाइल सेक्टर की बात करें तो जितनी संख्या में लोग दीवाली और होली पर वाहन खरीदते थे उतने ही वाहन लोगों ने लॉकडाउन के बाद खरीदे हैं, ताकि वह एक जगह से दूसरी जगह जा सके। किराए के वाहन से जाना हर बार संभव नहीं हो पाता है। शहर के सभी वाहन शोरूम पर पड़ताल करने पर पता चला है कि पिछले दिनों की अपेक्षा दो पहिया वाहन की सैलिंग करीब बीस प्रतिशत तक बड़ी है। जबकि अभी कोरोना काल में अन्य व्यापार ठप हैं। बस संचालक अनिल लखेरा ने बताया कि लोगों ने जिस तरह से वाहन खरीदे हैं उससे अब नहीं लगता कि लोग बसों से सफर करेंगे, क्योंकि नए वाहन के साथ लोगों ने पुराने वाहन भी खरीदे हैं। साथ ही जो वाहन सालों से बंद रखे थे उन्हें सुधरवाकर लोग चला रहे हैं।
अनलॉक में बिके करीब डेढ़ हजार से ज्यादा वाहन
लॉकडाउन के बाद जैसे ही अनलॉक शुरू हुआ उसके बाद से सभी कंपनियों के शोरूम से करीब डेढ़ हजार से ज्यादा दो पहिया वाहन बिके है। जिसका सीधा असर अब बस संचालन शुरू होने के बाद भी दिखाई देगा। क्योंकि कोरोना काल में लोग भी सुरक्षित सफर करना चाहते है।
मांग के अनुसार नहीं मिल रहे वाहन
कोरोना के कारण बाइक का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। जिसके कारण कुछ कंपनियों के शोरूम में जो भी वाहन लोग बुक करने के लिए जा रहे हंै वह उन्हें कई दिनों की बुङ्क्षकग के बाद मिल पा रहे हैं। वाहनों की बुङ्क्षकग करने के बाद ही उन्हें बाइक मिल पा रही है।
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