ये हैं प्रमुख मुद्दे- कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना, रोजगार के अवसर, स्वास्थ्य सुविधाएं।
मजबूत दावेदार
भूपेंद्र सिंह भाजपा- वर्तमान विधायक व संगठन में मजबूत पकड़। सिंह के अलावा क्षेत्र में कोई दूसरा दावेदार नहीं। दो बार सुरखी विधायक व एक बार सांसद रहे। क्षेत्र में किए गए अरबों के विकास कार्य।
अरुणोदय चौबे कांग्रेस- वरिष्ठ नेता व पूर्व विधायक। चौबे के अलावा क्षेत्र में कोई दूसरा दावेदार नहीं। ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी पकड़। किसानों की समस्याओं को उठाया। अकेले दावेदार होने से पार्टी में नहीं गुटबाजी।
जातिगत समीकरण- क्षेत्र में जातिगत समीकरण चुनाव में खासा असर डालते हैं। यहां जैन, यादव, दांगी ठाकुर के अलावा एससी वर्ग के मतदाता प्रत्याशी की हार जीत तय करते हैं।
चुनौतियां
भाजपा- विकास कार्यों को मतदाता तक स्थापित करना।
कांग्रेस- पार्टी से ज्यादा प्रत्याशी को अपने ही बलबूते पर चुनाव का सामना करना पड़ सकता है।
विधायक की परफॉर्मेंस
क्षेत्र में अरबों रुपए के विकास कार्य किए गए। बीना नदी परियोजना किसानों के लिए बड़ी सौगात, क्षेत्र में लगातार सक्रियता।
रहली : भार्गव के मुकाबले फिलहाल नहीं कोई
भाजपा के गोपाल भार्गव सात बार से लगातार विधायक चुने जा रहे हैं। भार्गव का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस के पास अब तक कोई चेहरा एेसा नहीं आया है जो उन्हें सीधी और कड़ी टक्कर दे सके। इस बारे में भार्गव खुले मंच से पहले ही ललकार चुके हैं। हालांकि युवा महिला नेत्री ज्योति पटेल क्षेत्र में काफी तेजी से आगे बढ़ रही हैं।
2013 में वोट
गोपाल भार्गव भाजपा- 101899
बृजबिहारी पटैरिया कांग्रेस- 50134
ये हैं प्रमुख मुद्दे- बेरोजगारी, ग्रामीण अंचलों में पेयजल की व्यवस्था, क्षेत्र में कई पर्यटन स्थलों का विकास
मजबूत दावेदार
गोपाल भार्गव भाजपा- लगातार सात बार से विधायक। भार्गव के अलावा क्षेत्र में कोई दूसरा दावेदार नहीं। क्षेत्र में मजबूत पकड़। अपनी दम पर चुनाव जीतने में माहिर, चुनावी रणनीति के कुशल प्रबंधक, युवाओं में गहरी पैठ।
कांग्रेस
ज्योति पटेल- जिपं सदस्य व युवा चेहरा।
जीवन पटेल- पूर्व परिवहन निगम अध्यक्ष, क्षेत्र में सक्रिय
सौरभ हजारी- युवा नेता व पारिवारिक राजनैतिक पृष्ठभूमि
इनके भी नाम चर्चा में- कमलेश साहू, महेंद्र सिंह, अंकेश हजारी समेत अन्य दावेदार।
जातिगत समीकरण- हार्दिक पटेल के नेतृत्व में ओबीसी फ्रंट की प्रदेश की पहली सभा गढ़ाकोटा में आयोजित हुई, कुर्मी-पटेल वर्ग के मतों का ध्रुवीकरण।
चुनौतियां
भाजपा- एक लाख मत से जीतने के दावा बड़ी चुनौती
कांग्रेस- भाजपा का गढ़ भेदना और ओबीसी वोट को साधे रहना।
विधायक की परफॉर्मेंस- क्षेत्र में सक्रियता, हर व्यक्ति तक व्यक्तिगत पहुंच, समूचे क्षेत्र में विकास योजनाएं मंजूर।