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यहां बीते छह वर्ष से कागजों में ही अटका है ओवर ब्रिज का काम, अब एक और बदलाब

locationसागरPublished: Jul 03, 2018 05:15:53 pm

उपनगर मकरोनिया में बंडा रोड पर रेलवे गेट नंबर ३० पर बनने वाला ओबर ब्रिज आज छह साल बाद भी धरातल पर नहीं आ सका है।

Case of macrononia

Case of macrononia

सागर. उपनगर मकरोनिया में बंडा रोड पर रेलवे गेट नंबर ३० पर बनने वाला ओबर ब्रिज आज छह साल बाद भी धरातल पर नहीं आ सका है। इसमें अब तक यदि सबसे बड़ा कारण सामने आया है तो वह है योजनाकारों की अदूरदर्शिता। क्योंकि जिम्मेदार आरओबी का टेंडर जारी होने के बाद अब रेलवे की तीसरी लाइन के विस्तार को लेकर डिजाइन में परिवर्तन करने की बात कर रहे हैं। जबकि यह बात सभी की जानकारी में थी कि सागर से रेलवे की तीसरी लाइन गुजरेगी, इसके बाद भी योजनाकारों ने डिजाइन तीन लाइन के हिसाब से नहीं बनाकर दो लाइनों के अनुसार तैयार कर दी और अब यही छोटी सी अनदेखी मुसीबत बनकर सामने आई है।
वर्ष २०१२ में शुरू हुई थी मांग
मकरोनिया में यातायात का दबाव बढऩे के बाद शुरू हुई परेशानियों को लेकर स्थानीय लोगों ने वर्ष २०१२ में आरओबी की मांग शुरू की थी। इसके बाद तत्कालीन सांसद व वर्तमान गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आंदोलन किया और ब्रिज को स्वीकृति मिल गई। इसके बाद फिर से राजनीति शुरू हुई क्योंकि यहां पर दोनों ओर की जमीने क्षेत्र के रसूखदार व राजनीतिक पकड़ रखने वाले लोगों की थी। यदि पुरानी डिजाइन के अनुसार ब्रिज निर्माण होता तो जमीनों का अधिकग्रहण किया जाता जिसके पक्ष में कोई भी रसूखदार नहीं था। यही कारण था कि ब्रिज की डिजाइन में तीन बार बदलावा किया गया और बीते साल २०१७ में आई सेप में स्वीकृत कर दी गई। इसके बाद करीब पांच माह पहले टेंडर जारी किया गया और वर्क आर्डर जारी कर दिया गया, लेकिन अब फिर से रेलवे की तीसरी लाइन के विस्तार को लेकर एक बार फिर डिजाइन में बदलाव किया जा रहा है। हालांकि यह बदलाव केवल रेलवे लाइन के ऊपर से गुजरने वाले हिस्से में किया जाना है।
तीन से चार मीटर का आएगा अंतर
एनएच विभाग के अनुसार पटरी के ऊपर से गुजरे हिस्से की डिजाइन रेलवे द्वारा ही तैयार की जानी है। पुरानी डिजाइन रेलवे की दो लाइनों के हिसाब से तैयार की थी। तीसरी लाइन का काम शुरू होने के बाद इसे बदला जा रहा है। यह काम भी रेलवे को ही करना है। बताया जा रहा है कि नई डिजाइन में रेलवे लाइन के करीब आने वाले स्पॉन (खंभों) में तीन से चार मीटर का अंतर आ सकता है। एनएच द्वारा नई डिजाइन के लिए रेलवे जबलपुर मंडल को पत्र भेज दिया गया है।

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