रेलवे ट्रैक पर मवेशी के ट्रेन से टकराने के बाद यदि वह इंजन के आगे फंस जाएं, तो ट्रेन को आगे बढ़ाना मुश्किल हो जाता है। इसके बाद उन्हें हटाने पर ही ट्रेन को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसलिए ड्राइवर इस स्थिति से निपटने के लिए कई बार इमरजेंसी ब्रेक लगा देते हैं, जिसमें घटना होने का भी डर बना रहता है। चूंकि रेलवे ट्रेनों का समय से संचालन करने के लिए उनकी रफ्तार बढ़ा रही है, इस स्थिति में इस प्रकार से मवेशियों के सामने आ जाने के कारण उनकी रफ्तार पर ब्रेक लग जाता है। इस दौरान यदि कोई हाइ स्पीड ट्रेन रुकती है, तो दोबारा आगे बढ़ाने में कम से कम पांच से सात मिनट खराब होते हैं। साथ ही स्पीड कम होने के कारण भी गति पर असर पड़ता है और गंतव्य तक पहुंचने में 15 मिनट तक टे्रन लेट हो जाती है।
रेलवे स्टेशन पर मवेशियों की धमाचौकड़ी से हर कोई परेशान है, लेकिन इससे निजात दिलाने के लिए रेलवे स्टेशन पर कोई भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहा है। अब तो हाल यह है कि मवेशियों का चौबीसों घंटे प्लेटफॉर्म पर ही डेरा रहता है, जो यात्रियों को परेशान करते हैं और मारकर चोटिल कर रहे हैं।