मसलन जो मंहगी जांच अभी नहीं हो रही हैं, लैब के निजी हाथों में जाने पर संबंधित कंपनी को कहीं से भी कराकर देने की बाध्यता होगी। बताते हैं, नई व्यवस्था से शासन पर ज्यादा भार पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी मरीजों की जांच शुल्क में बढ़ोतरी करेगी।
मशीनों को करेगी टेकओवर
अभी बुंदेलखंड की लैब में करीब सभी तरह की जांच करने वली मशीनें हैं। निजी हाथों में जाने के बाद कंपनी लैब की मशीनों को टेकओवर करेगी। बता दें कि जिला अस्पताल की केंद्रीय लैब करीब डेढ़ साल पहले निजी हाथों में चली गई थी।
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में पैरामेडिकल कोर्स चल रहे हैं। यहां स्टूडेंट्स व पीजी छात्र लैब में मशीनों से ट्रेनिंग ले रहे हैं। निजी हाथों में जाने के बाद कंपनी मशीनें खराब होने के डर से इन्हें प्रशिक्षण देने से मना कर सकती है।
– डॉ. अमर गंगवानी, प्रभारी केंद्रीय लैब, सागर
यह है फायदा
: री-एजेंट खरीदने का झंझट नहीं रहेगा।
: मशीनों के रखरखाव की चिंता नहीं करनी होगी।
: मशीन खरीदी की जिम्मेदारी कंपनी की होगी।
: बड़ी जांचें कंपनी द्वारा कराई जाएगी।
यह है नुकसान
: प्रति टेस्ट कीमत बढ़ेगी।
: टेंडर कॉस्ट वाइस होगा।
: री-एजेंट भी कंपनी अपने हिसाब से खरीदेगी।
: जांच शुल्क बढऩे से शासन को भारी भरकम राशि कंपनी को अदा करनी होगी।