मामला अक्षय तृतीया के मौके का है। प्रशासन ने 20 से ज्यादा टीम तैनात की थी, लेकिन जिले में एक ही बाल विवाह का मामला सामने आया। केसली ब्लॉक के ग्राम साजी घाना जैसीनगर में 15 वर्ष की बेटी की शादी कराई जा रही थी। बारात को शाम को घाना ग्राम से ही आनी थी। इससे पहले ही पुलिस को सूचना मिली। बाल विवाह की सूचना पर तत्काल थाना प्रभारी निरीक्षक कृपाल सिंह मार्को और महिला बाल विकास पर्यवेक्षक प्रभा चतुर्वेदी मौके पर पहुंची। टीम के द्वारा लड़की के माता-पिता को समझाइश दी गई। जिसके बाद माता-पिता ने वर पक्ष को बारात लाने से मना कर दिया।
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जिले में बाल विवाह को लेकर पिछले वर्षों में टीमों ने उल्लेखनीय प्रयास किए थे। वर्ष-2019 से 2022 तक लगभग 200 बाल विवाहों को रोकने में प्रशासनिक टीमें सफल रहीं, लेकिन पिछले इस वर्ष सभी कार्रवाई ठप हो गईं हैं। वर्तमान में शादियों का दौर चल रहा है, लेकिन अब तक कोई बड़ी कार्रवाई सामने नहीं आई है। बताया जा रहा है कि पुरानी टीम के कुछ सदस्यों को लूप लाइन में डाल दिया गया है जिसके कारण चाइल्ड लाइन, महिला बाल विकास समेत अन्य त्वरित कार्रवाई करने से बच रहे हैं।
एक साल में होते हैं 60 से 80 बाल विवाह
सूत्रों की माने तो सागर जिले में एक साल में 60 से 80 बाल विवाह होते हैं। इनमें से 35 से 40 बाल विवाह की सूचना ही प्रशासन तक पहुंच पाती है। समय पर टीम के न पहुंचने पर कई बार परिजन बाल विवाह करने में सफल भी हो जाते हैं। अक्षय तृतीया पर भी बाल विवाह के प्रकरण कम सामने आए। विशेष किशोर पुलिस इकाई की प्रधान आरक्षक ज्योति तिवारी ने बीते वर्षों में बाल विवाह रोकने को लेकर सराहनीय प्रयास किए थे।