नेत्र चिकित्सालय में लगेंगे तीन महीने
मर्जर से नेत्र रोगियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। मोतीनगर क्षेत्र में संचालित इंदिरा नेत्र चिकित्सालय को बीएमसी में मर्ज होने से मोतियाबिंद के ऑपरेशनों पर असर पड़ा है। हालांकि यदि डी-मर्जर होता है तो वापस मोतीनगर शिफ्ट होने में तीन महीने का वक्त लग सकता है। चूंकि नेत्र अस्पताल का सारा फर्नीचर, उपकरण आदि बीएमसी में आ गए हैं। अब इन्हें वापस शिफ्ट करने में वक्त लगेगा। वहीं, ओटी को कल्चर करने की भी आवश्यकता होगी।
इन व्यवस्थाओं में दोनों को परेशानी
मर्जर के वक्त उपकरण, फर्नीचर आदि सामान भी इधर-उधर हो गया था। अब डी- मर्जर में इसके लिए दोनों संस्थाओं को मशक्कत करनी होगी।
मर्जर से जनता तकलीफ में थी। मुझे भी व्यक्तिगत रूप से परेशानी हो रही थी। सीएम के समक्ष इस बात को रखा गया और उन्होंने इसे गंभीरता से भी लिया। मर्जर समाप्त हो गया है। -गोपाल भार्गव, पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री
मर्जर से जनता परेशान थी। कुछ दिन पहले रघु ठाकुर ने इसी संबंध में चर्चा की थी। उन्हें आश्वासन दिया था कि मैं उनके साथ सीएम से इस विषय पर चर्चा करूंगा। प्रतिनिधिमंडल के साथ सीएम से चर्चा हुई, उन्होंने इसे समाप्त करने का निर्णय लिया है। – भूपेंद्र सिंह, गृहमंत्री
डी-मर्जर की मांग हम पहले से कर रहे थे। बीएमसी में हुई ईसी की बैठक में चिकित्सा मंत्री को भी सांसद और मैंने मर्जर समाप्त करने की बात कही थी। सीएम से मुलाकात के दौरान इसे प्रमुखता से रखा गया था।
-शैलेंद्र जैन, विधायक
बिगड़ैल व्यवस्था को सुधारने मोर्चा की ओर से इसे समाप्त करने का कदम उठाया गया था। प्रदर्शन और हस्ताक्षर अभियान चलाए गए। सीएम से मुलाकात के दौरान इस मुद्दे को रखा गया था, जहां उन्होंने इसे समाप्त करने की घोषणा की है। – रघु ठाकुर, समाजवादी चिंतक
डी-मर्जर को लेकर अभी पत्र नहीं मिला है। यदि एेसा होता है तो मरीजों को किसी तरह की परेशानी न हो इसका ख्याल रखा जाएगा। बीएमसी में उपचार की पर्याप्त व्यवस्था है। -डॉ. जीएस पटेल, डीन
कुछ विभागों में डॉक्टरों की कमी है। शासन से मांग की जाएगी। अन्य के मरीजों के लिए दवाएं मंगवाएंगे। डी-मर्जर से मरीजों को परेशानी नहीं होने देंगे। – डॉ. अरुण सराफ, सिविल सर्जन