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डी-मर्जर पर वक्त रहते ही संभल गए नेता जी, विलय से प्रलय देख, कर दी यह घोषणा

locationसागरPublished: Jan 18, 2018 11:31:50 am

सीएम ने की जिला अस्पताल और बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डी-मर्जर की घोषणा, १ जून को लागू हुई परेशानी की ‘व्यवस्था’ आठ माह बाद समाप्ति की ओर

Merger - cracks in bad weather, now relief with the initial tragedy

Merger – cracks in bad weather, now relief with the initial tragedy

सागर. योजनाकारों के प्रयोग को बुधवार को सीएम ने ‘फेल’ कर दिया। पत्रिका द्वारा समय-समय पर उठाए गए मुद्दों के बाद अब जिला अस्पताल व बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज का विलय (मर्जर) समाप्त होने जा रहा है। सीएम ने इसकी घोषणा यहां से पहुंचे स्थानीय नेताओं के समक्ष की है।
मर्जर समाप्ति को लेकर संघर्षरत सर्वदलीय नागरिक संघर्ष मोर्चा के संरक्षक रघु ठाकुर का दावा है कि सीएम चौहान ने डी-मर्जर की बात कही है। हालांकि प्रशासनिक कार्रवाई में दोनों संस्थाओं के कामकाज को पूरी तरह अलग-अलग करने में थोड़ा वक्त लगेगा, लेकिन इस चक्की में फिर मरीज पिसेंगे। दरअसल, उठापठक में मरीजों की फजीहत होगी। क्योंकि मर्जर के बाद मामूली तौर पर अभी कुछ दिनों से ही व्यवस्थाएं पटरी पर आई थीं और अब फिर परिवर्तन होने से इसका खामियाजा अंतत: मरीजों को ही भुगतना होगा।
ये प्रतिनिधि मिले
सीएम शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात करने सागर से गए प्रतिनिधिमंडल में गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह , पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव, सर्वदलीय नागरिक संघर्ष मोर्चा के संरक्षक रघु ठाकुर, विधायक शैलेंद्र जैन, कांग्रेस के पूर्व विधायक सुनील जैन, कांग्रेस नेता रामकुमार पचौरी, शिवराज सिंह ठाकुर व धमेंद्र सिंह राणा शामिल थे। संरक्षक ठाकुर ने इस दौरान ५० हजार हस्ताक्षर के पत्र सीएम को सौंपकर मर्जर समाप्त करने की मांग की थी।
लगेगा लंबा वक्त
सीएम ने डी-मर्जर की घोषणा तो कर दी है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर अभी पुष्टि संबंधी दस्तावेज नहीं आए हैं। यहां एक बात गौर करने योग्य है कि डी-मर्जर के बाद दोनों संस्थाओं को वापस स्वरूप देने में तीन से चार माह का वक्त लगेगा।
बजट बनेगा रोड़ा
जिला अस्पताल में वर्तमान में दो विभाग ही संचालित हैं। इनमें पीडियाट्रिक्स और गायनी शामिल हैं। शेष ८ विभाग बीएमसी में मर्ज हो चुके हैं। डी-मर्जर होने की स्थिति में वापस इन्हें जिला अस्पताल में संचालित होंगे। एेसे में बजट और उपकरणों की आवश्यकता होगी। वहीं बीएमसी में भी बजट कम हो जाएगा। इसका असर सफाई, सुरक्षा व मैन पावर पर पड़ेगा। व्यवस्थाएं देखने के लिए तैनात की गई हाइट्स कंपनी में भी मैन पावर कम हो सकता है।
डी-मर्जर से दोनों संस्था पर पड़ेगा बड़ा असर
जिला अस्पताल में यह स्थिति है अभी
मेडिसिन: तीन डॉक्टर हैं अभी, एक की है जरूरत।
गायनी: जूनियर डॉक्टरों की कमी
पीडिट्रिक्स: दो डॉक्टर रिटायर्ड हुए।
सर्जरी: चार डॉक्टर हैं, एक की है जरूरत।
ईएनटी: दो डॉक्टर रिटायर्ड हो चुके हैं, एक है वर्र्किंग में।
रेडियोलॉजिस्ट: इसी माह एक डॉक्टर होगा रिटायर्ड, एक के भरोसे विभाग।
अस्थि: एक डॉक्टर पर प्रशासनिक भार, एक डॉक्टर देखेंगे मरीजों को।
म र्जर से अस्पताल का विकास एक साल पीछे खिसक गया है। इससे मॉडल हॉस्पिटल और कायाकल्प योजना में विपरीत असर पड़ा है। उधर ट्रामा यूनिट भी अपने स्वरूप में नहीं आ पाई है। यूनिट के लिए डॉक्टर, सर्जन और पैरोमेडिकल स्टाफ की फिर से डिमांड भेजनी होगी।
बीएमसी: पीजी की मान्यता पर लटक सकती है तलवार
मर्जर समाप्त होने से पीजी की मान्यता पर तलवार लटक सकती है। एमसीआई ने रिपोर्ट में पीजी की मान्यता देने में मरीजों की संख्या तो पर्याप्त पाई थी, लेकिन डॉक्टरों की कमी से मान्यता लटक गई थी। मर्जर समाप्त होने पर भले ही बीएमसी डॉक्टरों की कमी को दो महीने में पूरा कर ले, लेकिन मरीजों की संख्या कम होने से मामला फिर अटक सकता है। उधर यूजी सीटें भी प्रभावित होने की आशंका है। बीएमसी प्रबंधन ने ५० सीटें बढ़ाने की मांग की थी और इसका आधार वर्तमान में मौजूद सुविधाओं और डॉक्टरों की उपलब्धता को बताया था।
बीएमसी में गायनी के हालत जस के तस
मर्जर की सबसे बड़ी वजह दोनों संस्थाओं में संचालित गायनी विभाग रहा है। मर्जर से पूर्व जिला अस्पताल और बीएमसी के बीच मची खींचतान का असर प्रसव पर पड़ रहा था। पूर्व में डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ की लापरवाही के चलते दर्जनों प्रसूताओं और शिशुओं की मौतें हो चुकी हैं। इस मामले में कार्रवाई भी हुई हैं। डी-मर्जर होने से स्थिति जस की तस बनी हुई है।

नेत्र चिकित्सालय में लगेंगे तीन महीने
मर्जर से नेत्र रोगियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। मोतीनगर क्षेत्र में संचालित इंदिरा नेत्र चिकित्सालय को बीएमसी में मर्ज होने से मोतियाबिंद के ऑपरेशनों पर असर पड़ा है। हालांकि यदि डी-मर्जर होता है तो वापस मोतीनगर शिफ्ट होने में तीन महीने का वक्त लग सकता है। चूंकि नेत्र अस्पताल का सारा फर्नीचर, उपकरण आदि बीएमसी में आ गए हैं। अब इन्हें वापस शिफ्ट करने में वक्त लगेगा। वहीं, ओटी को कल्चर करने की भी आवश्यकता होगी।
इन व्यवस्थाओं में दोनों को परेशानी
मर्जर के वक्त उपकरण, फर्नीचर आदि सामान भी इधर-उधर हो गया था। अब डी- मर्जर में इसके लिए दोनों संस्थाओं को मशक्कत करनी होगी।

मर्जर से जनता तकलीफ में थी। मुझे भी व्यक्तिगत रूप से परेशानी हो रही थी। सीएम के समक्ष इस बात को रखा गया और उन्होंने इसे गंभीरता से भी लिया। मर्जर समाप्त हो गया है। -गोपाल भार्गव, पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री

मर्जर से जनता परेशान थी। कुछ दिन पहले रघु ठाकुर ने इसी संबंध में चर्चा की थी। उन्हें आश्वासन दिया था कि मैं उनके साथ सीएम से इस विषय पर चर्चा करूंगा। प्रतिनिधिमंडल के साथ सीएम से चर्चा हुई, उन्होंने इसे समाप्त करने का निर्णय लिया है। – भूपेंद्र सिंह, गृहमंत्री

डी-मर्जर की मांग हम पहले से कर रहे थे। बीएमसी में हुई ईसी की बैठक में चिकित्सा मंत्री को भी सांसद और मैंने मर्जर समाप्त करने की बात कही थी। सीएम से मुलाकात के दौरान इसे प्रमुखता से रखा गया था।
-शैलेंद्र जैन, विधायक

बिगड़ैल व्यवस्था को सुधारने मोर्चा की ओर से इसे समाप्त करने का कदम उठाया गया था। प्रदर्शन और हस्ताक्षर अभियान चलाए गए। सीएम से मुलाकात के दौरान इस मुद्दे को रखा गया था, जहां उन्होंने इसे समाप्त करने की घोषणा की है। – रघु ठाकुर, समाजवादी चिंतक

डी-मर्जर को लेकर अभी पत्र नहीं मिला है। यदि एेसा होता है तो मरीजों को किसी तरह की परेशानी न हो इसका ख्याल रखा जाएगा। बीएमसी में उपचार की पर्याप्त व्यवस्था है। -डॉ. जीएस पटेल, डीन

कुछ विभागों में डॉक्टरों की कमी है। शासन से मांग की जाएगी। अन्य के मरीजों के लिए दवाएं मंगवाएंगे। डी-मर्जर से मरीजों को परेशानी नहीं होने देंगे। – डॉ. अरुण सराफ, सिविल सर्जन

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