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कोचिंग संस्थानों में नहीं हैं फायर सेफ्टी सिस्टम, ये कमियां भी करतीं हैं परेशान

locationसागरPublished: May 26, 2019 03:38:36 pm

Submitted by:

manish Dubesy

कोचिंग संस्थानों में नहीं हैं फायर सेफ्टी सिस्टम, ये कमियां भी करतीं हैं परेशान

Coaching Institutions Fire safety system way Surat Kaand

Coaching Institutions Fire safety system way Surat Kaand

सूरत में कोचिंग संस्थान में लगी थी आग: हमारे शहर में भी ऐसे कई कोचिंग संस्थान हैं जहां सुरक्षा के इंतजाम नहीं
सागर. सूरत में कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में चल रही एक कोचिंग संस्थान में भीषण आग लगने से 19 से अधिक बच्चों की मौत हो गई। जान बचाने के लिए बच्चों ने चौथी मंजिल से भी छलांग लगाई। इस हादसे के बाद पत्रिका ने शनिवार को शहर के सिविल लाइन, गोपालगंज, बड़े बाजार, रामपुरा और मकरोनिया इलाकों में ५० से अधिक कोचिंग संस्थानों का जायजा लिया। ज्यादातर बड़ी इमारतों में कोचिंग चल रहे हैं। उनमें कई अन्य ऑफिस व रेस्टोरेंट भी खुले हैं। इन इमारतों में नेशनल बिल्डिंग कोड के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है। यहां तक कि आग लगने की स्थिति में निकलने के लिए दो मार्ग भी नहीं हैं। ऐसे में यदि यहां आग लगती है तो किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता है।
स्थिति यह है कि इन कोचिंग संस्थानों के पास पार्किंग तक की जगह नहीं है। कई जगह तो बिजली के ट्रांसफार्मर के आसपास ही यहां पढऩे के लिए आने वाले छात्रों के वाहनों की पार्किंग की जाती है। शॉर्ट सर्किट से यदि वाहनों में आग लगती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? दूसरी मुश्किल ये है कि एक ही इमारत में कोचिंग के साथ कई ऑफिस भी चल रहे हैं। ऐसे में लोग सुरक्षा को लेकर जवाबदेही से बचते हैं। कहीं कोई फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं है।
यहां भी स्थिति खराब
सिविल लाइन में ही सिंघई बिल्डिंग, बैंक ऑफ इंडिया के सामने और मुख्य चौराहे पर कई बहुमंजिला इमरतों में कोचिंग का संचालन किया जा रहा है। ऐसे ही गोपालगंज में स्थिति है, जहां बहुमंजिला इमारतों में कोचिंग चल रही हैं। यहां कोई फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं है।
कालीचरण चौराहा के पास एलआईसी बिल्डिंग में चल रहे आठ से ज्यादा कोचिंग संस्थान
शहर का सिविल लाइन इलाका कोचिंग संस्थानों का हब बन गया है। यहां लगभग ३० कोचिंग संचालित हो रहे हैं। पत्रिका की टीम जब सिविल लाइन पहुंची तो यहां स्थिति चौकाने वाली मिली। एलआईसी बिल्डिंग में ही लगभग ८ कोचिंग सेंटर चल रहे हैं। चार मंजिला इस बिल्डिंग में नीचे दुकानें और रेस्टोरेंट हैं और ऊपर कोचिंग चलती हैं। यदि यहां आग लगने की कोई घटना होती है तो विद्यार्थियों को निकलने कोई दूसरा रास्ता नहीं है। जब कोचिंग छूटती है तो अनेक विद्यार्थी एक साथ बाहर निकलते हैं। पार्किंग के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है।
ये प्रावधान होना जरूरी
ठ्ठ बेसमेंट में पार्किंग हो दूसरे प्रयोजन का उपयोग न हो ।
ठ्ठ प्रवेश और निर्गम के अलग-अलग मार्ग हों।
ठ्ठ इमरजेंसी नंबर
की सूची हो।
ठ्ठ भवनों के चारों ओर दमकलों के घूमने के लिए पर्याप्त जगह हो।
ठ्ठ हाइडेंट सिस्टम हो ताकि आग बुझाने के लिए पानी की कमी न हो।
ठ्ठ बेसमेंट में स्प्रिंग कलर सिस्टम हो, इसके होने से बेसमेंट पर आग लगते ही स्वत: सिस्टम काम करके आग बुझा देता है।
ठ्ठ फायर अलार्म सिस्टम, अग्निशामक यंत्र, होज रील सिस्टम, रेत की बाल्टियां हों।
ठ्ठ बड़े भवनों में प्रशिक्षित कर्मचारी हों।
लोग बोले- यहां तो सूरत की घटना से भी बुरे हाल हो सकते हैं
व्यापारी एके
दुबे ने बताया कि कालीचरण चौराहे के चारों तरफ नजर दौड़ाए तो १५ से अधिक कोचिंग और अन्य संस्थान चल रहे हैं। यहां पार्र्किंग के अलावा चौकीदार तक की व्यवस्था नहीं है। आग से बचाव की कोई सुविधा नहीं है। सबसे बड़ी बात पार्र्किंग की है, सड़कों पर ही सैकड़ों गाडिय़ां खड़ी होती हैं। यदि आग लगने की घटना होती है तो इन्हें निकलने का भी कोई रास्ता नहीं है।
बड़ा बाजार में
रहने वाले राजीव बिड़ला बताते हैं कि यह व्यस्त इलाका है। यहां संकरी गलियों में कोचिंग संस्थान चल रहे हैं। कई संसस्थानों में सुबह-शाम सैकडा़ें बच्चे आते हैं। जिन्हें वाहन खड़े करने के लिए भी जगह नहीं है। यदि एक बार जाम लग जाए तो आधे-आधे घंटे परेशान होना पड़ता है। ऐसे में हादसा होता है तो समय पर फायर ब्रिगेड ही नहीं पहुंच सकती है।
रामपुरा में
रहने वाले चंद्र विजय ने बताया कि रामपुरा में संकरी गलियां हैं। लोगों ने व्यवसाय के लिए यहां कोचिंग संस्थान सहित अन्य सेंटर खोल लिए हैं। यह जानते हुए कि यहां सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। ऐसी स्थिति में यदि यहां कोई हादसा होता है तो सूरत से भी बुरे हालात हो सकते हैं। संकरी गलियां होने के कारण फायर ब्रिगेड तक यहां नहीं आ सकती हैं।

शहर के ऐसे संस्थानों का सर्वे कराएंगे। जहां भी गड़बड़ी अथवा नियमों का पालन होते नहीं मिलेगा, वहां सख्त कार्रवाई भी करेंगे। – अनुराग वर्मा, नगर निगम आयुक्त

 

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