यह पहली बार नहीं है कि जब सरकार सीजन के बाद भावांतर योजना के तहत खरीदी करेगी। इसके पहले हालही में प्याज खरीदी के समय भी कुछ ऐसा ही देखने मिला था। किसान फरवरी से मंडियों में प्याज लेकर पहुंचने लगे थे, लेकिन सरकार ने मई में कुछ ही दिन भावांतर योजना के तहत खरीदी की थी और किसानों को रुपए-दो रुपए किलो में अपनी प्याज बेचनी पड़ी। नतीजतन व्यापारियों ने फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपए का घोटाला किया। सागर जिले की तीन मंडियों में इस फर्जीवाड़े का खुलासा भी हो चुका है।
किसानों का कहना नहीं रोक सकते उपज
अतिवृष्टि के कारण पहले ही किसानों की फसलें बर्बाद हो चुकी है। बची हुई फसल में जो भी थोड़ी-बहुत उपज निकल रही है उसे रोकना मुश्किल है। किसानों का कहना है कि उन्हें अगले सीजन के लिए खाद-बीज, डीजल सहित अन्य तैयारियों के लिए रुपयों की जरूरत है। यदि भावांतर योजना के इंतजार में बैठे तो अगली फसल की तैयारी समय से करने में चूक जाएंगे। यही कारण है कि भावांतर योजना का इंतजार करने की जगह मजबूरन मंडियों में सस्ते दामों पर बेचनी पड़ेगी।
यह हैं न्यूनतम समर्थन मूल्य
उपज का नाम, वर्ष 2018-19, 2019-20, वृद्धि
सोयाबीन, 3399, 3710, 311
उड़द, 5600, 5700, 100
मूंग, 6975, 7050, 75
अरहर, 5675, 5800, 125
नोट- आंकड़े केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार।
खरीदी कब से शुरू होना है निर्देश नहीं मिले
अभी पंजीयन किए जा रहे हैं, भावांतर की खरीदी कब से शुरू होना है यह निर्देश अभी तक नहीं मिले हैं। अंतर की राशि को लेकर भी अभी वरिष्ठ कार्यालय से कोई निर्देश नहीं है।
जेएल चौहान, जिला आपूर्ति नियंत्रक