बेटियों ने देखी पैरेंट्स की कार्यप्रणाली, समझी-सराही
बेटियां जब ऑफिस, दुकान पहुंचीं तो अपने पैरेंट्स की कार्यप्रणाली, परिश्रम को देख रोमांचित हुए बिना रह सकीं।
मां को पुलिस की वर्दी में देखते हैं तो स्वयं को मजबूत महसूस करते हैं। हम भी मां जैसा ही सशक्त बनेंगी।
थाना : सिविल लाइन
बिटियों का नाम : सोफिया
और सायना
माता का नाम : संगीता सिंह, टीआई
कोई काम बड़ा या छोटा नहीं होता
पापा ने समझाया कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। दायित्व, जिम्मेदारियां गंभीरता से निभाना चाहिए।
दुकान : ऑटोमोबाइल शॉप
बिटिया का नाम : करिश्मा
पिता का नाम : अखिल दुबे, (संचालक)
थाने आकर देखी जिम्मेदारी
पापा को घर पर वायरलेस पर बात करते सुनती थी। आज थाने आकर उनकी जिम्मेदारी को देखा।
ऑफिस : मकरोनिया
बिटिया का नाम : अक्षिता
पिता का नाम : आरएस ठाकुर, (टीआई मकरोनिया)
मुझे भी पापा की तरह डॉक्टर बनना है
मेरे पापा डॉक्टर हैं यह बताने में मुझे गर्व होता है। मैं भी
पापा की तरह डॉक्टर बनना चाहती हूं।
अस्पताल: बीएमसी
बिटिया का नाम : मुस्कान सिंह
पिता का नाम : डॉ. एसपी सिंह, (बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज अस्पताल)
जाने व्यवसाय करने के गुर
कपड़ों का व्यवसाय कैसे किया जाता है। सेलिंग की जाती है? कस्टमर से किस तरह व्यवहार किया जाता है। यह सब जाना।
ऑफिस : गारमेंट शॉप
बिटिया का नाम : पलक जैन
पिता का नाम : अरविंद जैन, (संचालक)
रोजगार देकर बेटियां बनें मिसाल
मेरी बेटियां सक्षम बनें और मेरा काम संभालें। नौकरियों की ओर जाने से अच्छा है खुद का उद्यम स्थापित करें। अन्य लोगों को रोजगार देकर एक अच्छी मिसाल पेश करें।
पुरुषोत्तम चौरसिया
ऑफिस : कल्पधाम बिल्डर्स एंड डवलपर्स
बिटिया का नाम : अनन्या और अनुषा
पिता का नाम : पुरुषोत्तम चौरसिया