पं. शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि मंगलवार को द्वादशी तिथि सुबह 11.31 बजे तक रहेगी। इसके बाद त्रयोदशी लगेगी जो अगले दिन तीन नवंबर को सुबह 9.02 बजे तक रहेगी। दो नवंबर को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र सुबह 11.44 बजे तक और इसके बाद हस्त नक्षत्र रहेगा। त्रिपुष्कर योग सुबह 6.32 से 11.31 बजे तक रहेगा। इस दौरान सोना-चांदी, भूमि, भवन, बर्तन सहित हर तरह की खरीदी उत्तम फल देती है।
शुरू होगा पांच दिवसीय त्योहार पं. श्रवण मिश्र ने बताया कि धनतेरस से पांच दिनी दीपोत्सव की शुरुआत होती है। धन-संपदा में वृद्धि के लिए पहले दिन देवी लक्ष्मी और कुबेर का पूजन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन ही भगवान धन्वंतरी अमृत का पात्र लेकर प्रकट हुए थे। इस दिन आरोग्यता के लिए भगवान धन्वंतरी का पूजन किया जाता है। गोधूलि बेला में अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए दीपदान किया जाता है।
चौघडिय़ा अनुसार मुहूर्त
– चर – सुबह 9.21 से 10.45 बजे तक। – लाभ – सुबह 10.46 से दोपहर 12.10 बजे तक।
– अमृत – दोपहर 12.10 से 1.35 बजे तक। – शुभ – दोपहर 3 से 4.24 बजे तक।
– लाभ – शाम 7.24 से रात 8.59 बजे तक।