डाइबिटीज को समझे और बचे
डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने बताया कि जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज से इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। डायबिटीज होने के दो कारण है, पहला शरीर में इन्सुलिन का बनना बंद हो जाये या फिर शरीर में इन्सुलिन का प्रभाव कम हो जाये। दोनों ही परिस्थितियों में शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। लगातार शरीर में शुगर के स्तर में वृद्धि होने पर आंखों, दिल और किडनी पर बेहद बुरा असर पड़ता है, इसलिए इसे हमेशा नियंत्रित रखना बेहद आवश्यक होता है।
टाइप 1 डायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज ज्यादातर बच्चों में पायी जाती है। इसमें शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। इलाज के रूप में बच्चे को इंसुलिन के इंजेक्शन देने पड़ते हैं ताकि शरीर के अतिरिक्त ग्लूकोज को नियंत्रित किया जा सके।
टाइप 2 डायबिटीज
90 फीसदी लोगों को टाइप 2 डायबिटीज परेशान करती है। कई बार ये समस्या आनुवांशिक हो सकती है, तो कई बार खराब जीवनशैली इसकी प्रमुख वजह होती है। इसमें इंसुलिन कम बनता है, जिसकी वजह से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढऩे लगती है और व्यक्ति मोटा होने लगता है। संतुलित डाइट, दवाओं का समय पर सेवन और व्यायाम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
इन लक्षणों से होती पहचान
1. बार-बार पेशाब आना, साथ ही पेशाब के तुरंत बाद प्यास लगना।
2. आंखों की रोशनी कम होना और शरीर में भारीपन महसूस होना
3. त्वचा में संक्रमण, फोड़े फुंसी आदि होना।
4. शरीर पर जगह-जगह और खासतौर पर हाथ-पैर या गुप्तांगों पर खुजली होने पर जख्म होना।
5. चोट लगने पर जल्दी ठीक न होना।
बचाव के लिए करें ये उपाय
1. मीठी चीजों को खाने से परहेज करें।
2. ब्रेड, नॉन, नूडल्स आदि मैदे से बनी चीजों से परहेज करें।
3. जंकफूड और फास्टफूड से लेने से परहेज करें।
4. आलू, अरबी, शकरकंद, चावल आदि से खाने से बचें।
5. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
6. कपालभाति, अनुलोम विलोम आदि प्राणायाम को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।
7. तनाव न लें, इससे बचने के लिए मेडिटेशन का सहारा लें।