इसलिए जरूरी है पृथ्वी को बचाना
डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि में भूर्गव शास्त्री आरपी मिश्रा ने बताया कि लगातार जल की कमी और पृथ्वी के ऊपर वनों का आवरण कम होता जा रहा है। वनों की कटाई से पर्यावरण गर्म हो रहा है। जलवायु में परिवर्तन हो रहा है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिए संकट हैं। देखने में मिल रहा है कि कभी बिना मानसून के ही पानी गिर रहा है, तो कभी मानसून में सूखा पड़ रहा है। ऐसे में हमें अपनी पृथ्वी को सहेजना होगा।
इनसे लें सीख
पर्यावरण बचाने कर रहे हैं पौधरोपण
गोपालगंज में रहने वाले 54 वर्षीय श्रीकृष्ण उदेनिया पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। अपने व्यस्त समय के बाद ये पौधरोपण करते हैं। घर में जगह की कमी के कारण टैरेस गार्डन में 300 से अधिक पौधे लगा रखे हैं व अपने पैतृक ग्राम चौका में भी सैकड़ों पौधे लगाएं हैं। उदेनिया धरती के संतुलन में अहम योगदान निभाने वाले पक्षियों के लिए 12 माह दाना-पानी, मिट्टी के बर्तन आदि की व्यवस्था छत, सिटी फॉरेस्ट, पुलिस कार्यालय आदि में करते रहते हैं।
जागरूकता कार्यक्रम से दे रहे सीख
डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि में कम्प्यूटर विभाग के डॉ. के कृष्णाराव भी पर्यावरण को बचाने के लिए सक्रिय रहते हैं। डॉ. राव पंतजलि संस्था के सदस्य हैं, साथ ही पर्यावरण को बचाने के लिए जागरुकता कार्यक्रम चलाते हैं। जैविक खेती, औषधीय पौधे लगाने के लिए यह जागरुकता कार्यक्रम गांव-गांव में चलाते हैं। साथ ही पौधरोपण कर पर्यावरण बचाने का संदेश देते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण
– ओद्यौगीकरण के बाद कार्बनड़ाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले सालों में कई गुना बड़ा है। इन गैसों का उत्सर्जन आम प्रयोग के उपकरणों फ्रिज, कम्प्यूटर, स्कूटर और कार आदि से है।
– इस समय विश्व में प्रतिवर्ष करोड़ों टन से अधिक प्लासटिक का उत्पादन हो रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। प्लासटिक के प्रभाव से थलीय प्राणी के साथ समुद्री प्राणी भी अछूते नहीं है।
– ग्रीन हाउस गैस भी ग्लोवल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं। इनमें नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन आदि शामिल हैं।
ये करें छोटे प्रयास
खाद्य पदार्थ उगाएं
पौधे मिट्टी को फिर से भरने में मदद करने के साथ-साथ वातावरण में ऑक्सीजन छोड़ते हैं। अपने-अपने क्षेत्र में खाद्य पदार्थ उगाने के भिन्न-भिन्न तरीके हैं। आप पौधों लगाएं।
प्लास्टिक का न करें प्रयोग
प्लास्टिक की बोतलें पर्यावरण के लिए अच्छी नहीं हैं क्योंकि उनमें से अधिकांश को पुनर्नवीनीकरण (रिसाइकिल) नहीं किया जा सकता है। प्लास्टिक के उत्पादन में काफी जीवाश्म ईंधन लगता है। ईंधन निष्कर्षण अपने आप में एक ऐसी प्रक्रिया है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है। इसलिए प्लास्टिक की बोतलों का उत्पादन और उनके उपयोग से प्रकृति पर प्रभाव पड़ता है।
साइकलिंग करें
साइकिल चलाना पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद करने के साथ-साथ एक्सरसाइज करने के लिए भी एक बेहतर तरीका है। बाइक, कार, ऑटो, टैक्सियों से यात्रा करने पर पैट्रोल और डीजल की खपत तो बढ़ती ही है, साथ ही इन गाडिय़ों से निकलने वाले धुएं से लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है।
थैला लेकर चलें
घर से सामान लेने के लिए थैला लेकर निकले। पॉलीथिन के प्रयोग से पर्यावरण के साथ आपकी सेहत के लिए भी नुकसान होता है।
जल को बचाएं- जल ही जीवन है यह कहते हुए सुना होगा, लेकिन इसे सहेजना होगा। जल उतना ही इस्तेमाल करें जितनी जरूरत है।