ऑटोमैटिक रेन गेज मशीन में बारिश ऑटोमैटिक रिकॉर्ड होती है। मौसम विभाग के प्रभारी संजय बांगड़ी ने बताया कि इस मशीन में सुबह 8.30 बजे रेन गेज चार्ट लगाया जाता है, जो बारिश के आंकड़ों को रिकार्ड करता है। सुबह रोजाना चार्ट को बदला जाता है। इससे ऑटोमैटिक बारिश रिकॉर्ड होती चली जाती है। हर तीन घंटे में बारिश के अपडेट आंकड़े रिर्काड करते हैं, जिन्हें भोपाल मौसम विभाग को भेजते हैं।
सागर. सावन की शुरुआत में दो दिन हुई बारिश के बाद मानसून फिर से दगा दे रहा है। शुक्रवार को भी शहर में रुक-रुककर बारिश हुई। अभी तक शहर में 261.6 मिमी बारिश दर्ज की गई है। बारिश का रिकार्ड मौसम विभाग ऑडनरी रेन गेज उपकरण और ऑटोमैटिक गेज मशीन से करता है। इनसे आसानी से बारिश को नापा जाता है, लेकिन बारिश नापने के लिए यह पत्रति अंग्रेजों की जमाने की है।
ऑटोमैटिक रेन गेज मशीन में बारिश ऑटोमैटिक रिकॉर्ड होती है। मौसम विभाग के प्रभारी संजय बांगड़ी ने बताया कि इस मशीन में सुबह 8.30 बजे रेन गेज चार्ट लगाया जाता है, जो बारिश के आंकड़ों को रिकार्ड करता है। सुबह रोजाना चार्ट को बदला जाता है। इससे ऑटोमैटिक बारिश रिकॉर्ड होती चली जाती है। हर तीन घंटे में बारिश के अपडेट आंकड़े रिर्काड करते हैं, जिन्हें भोपाल मौसम विभाग को भेजते हैं।
मैनुअल तरीके से नापते हैं बारिश
ऑर्डनरी रेन गेज साधारण उपकरण है, इससे बारिश मैनुअल तरीके से नापी जाती है। इसके ऊपर एक छेद होता है। बारिश होने पर पानी इसके अंदर फनल (प्लासटिक की डिब्बी) में एकत्रित होता है। इसके बाद डिब्बी का पानी वर्षा मापी ग्लास द्वारा नापा जाता है। इससे आज भी बारिश की सटीक जानकारी मिलती है। इसके भीतर इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की डिब्बी को समय-समय पर बदल दिया जाता है। तापमान का मापन थर्मामीटर से किया जाता है। लकड़ी की एक मशीन में चार प्रकार के थर्मामीटर लगे रहते हैं। दो से अधिकतम और न्यूनतम तापमान का पता चलता है। तीसरे से आद्र्रता और चौथे से वर्तमान तापमान का भी मापन किया जाता है।