(फोटो:चबूतरे पर बैठे किसान सुदामा के हालत ठीक होने की कामना कर रहे हैं)
सागर.चुनावों के वक्त यहां सांसद, विधायक, पंच-सरपंच सभी धोकने जाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद उन्हें यह भी पता नहीं कि ऐसा कोई गांव भी है। दरअसल यहां कर्ज में डूबा सुदामा को खराब फसलों ने ऐसा झटका दिया कि उसने कीटनाशक पीकर मौत को गले लगाने के लिए कदम बढ़ा दिया। इसके बाद प्रशासन के पीछे-पीछे पत्रिका भी गांव में पहुंचा। वहां के हालात देखते हुए इतिहास में पढ़े हुए किसी गुलाम गांव की तस्वीर सामने उभर रही थी।
70 परिवारों वाले इस गांव की आबादी 600 लोगों की है। यहां 90 फीसदी खेतीहर मजदूर हैं। घनश्याम पटैरिया बताते हैं, गांव के लगभग सभी खेतीहर मजदूर कर्ज में डूबे हुए हैं। जो फसलें मात्र 2 बार के पानी में हो जाती है, उन्हें यहां 8 बार पानी देना पड़ता है। गांव से चंद कदम दूर बेबस नदी है।वहां हम पानी लेने जाते हैं तो सेना के जवान हमसे दुश्मनों की तरह बर्ताव करते हैं। गया प्रजापति ने कहा, जवान हमारी मोटर, पाइप जब्त कर लेते हैं। हमसे बहुत बुरा-भला कहते हैं। हमें कहीं रोजगार नहीं मिल सकता, इस वजह से हम जैसे-तैसे यहां खेती करने को मजबूर हैं। मुलू अहिरवार ने लगभग रोते हुए कहा 4 साल से फसलें खराब हो रही हैं।
(अस्पताल में भर्ती किसान सुदामा।)
लड़कियां नहीं जातीं स्कूल
यहां स्कूल 5वीं तक है। नदी पार करके अगरा गांव में 8वीं तक स्कूल है। यहां नदी से जाओ तो दो किमी चलना पड़ता है, सड़क से 8 किमी तक चलना पड़ता है। लड़कियां 5वीं के बाद स्कूल नहीं जाती। 10वीं तक पढऩा हो तो 10 किमी दूर मेनपानी गांव जाना पड़ता है। कोमल अहिरवार और बृजेश पटेरिया ने कहा बारिश के चार महीनों में स्कूल बंद रहता है।इन सुविधाओं के कारण अधिकांश लड़कियां स्कूली शिक्षा ही बमुश्किल पूरी कर पाती हैं।
40 दिन में चार को लील गई
1. रम्मू पिता रमेश आदिवासी, डोंगर सलैया
2. बालकिशन पिता मथुरा, लोधी रहली
3. हरनारायण रिछारिया, उजनेट
4. सुदामा पिता तखतसिंह केवट, सलैया गाजी
जांच कराएंगे
किसान के कीटनाशक पीने के कारणों की जांच कराएंगे। परिजनों से पूछताछ कर बयान दर्ज किए हैं। परिजनों ने कर्ज की बात कही है लेकिन बिना जांच कुछ भी नहीं कह सकते।
दीपक तिवारी, नायब तहसीलदार
मैं तो मंत्री के साथ था
मैं तो पूरे दिन मंत्री जी के साथ ही रहा। मुझे अपने अधीनस्थ अफसरों ने किसी तरह की जानकारी नहीं दी। प्रशासन इस मामले की जांच कराएगा, इसके बाद ही कोई बात कह सकता हूं।
एके सिंह, कलेक्टर, सागर