शासकीय कन्या स्कूल गढ़ाकोटा में पढऩे वाली पचारा पिपरिया निवासी नाबालिग के साथ छेड़छाड़ के प्रकरण में पुलिस द्वारा अपराध दर्ज कर शिक्षक प्रदीप जैन को जेल भेजा गया है। छेड़छाड़ के कारण नाबालिग इतने अवसाद में थी कि वह कई महीने तक बेसुध हालत में रही। उसका लगातार उपचार जारी रहा और वह वार्षिक परीक्षा भी नहीं दे पाई थी। एक पखवाड़े पहले तबीयत ठीक होने के पर छात्रा ने शिक्षक की हरकत के बारे में बताया और परिजनों के साथ थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई थी। इस प्रकरण में गढ़ाकोटा पुलिस ने शिक्षक प्रदीप जैन पर छेड़छाड़ और पॉक्सो एक्ट का अपराध दर्ज कर कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया था।
प्राचार्या के दबाव में था पिता-
छेड़छाड़ के आरोपी शिक्षक को जेल भेजे जाने के बाद से स्कूल की प्राचार्या अरुणा शास्त्री, कुछ शिक्षक द्वारा पीडि़ता के पिता पर समझौते का दबाव बनाया जाने लगा। जैन समाज के एक संगठन द्वारा गढ़ाकोटा में रैली निकालकर छात्रा के आरोपों को झूठा बताया गया था। शिक्षक व समाज के संगठन द्वारा सागर में एसपी अमित सांघी को भी इस संबंध में आवेदन सौंपा था। लगातार दबाव बनाए जाने से पीडि़ता और उसका पिता मानसिक तनाव में थे। प्राचार्या के इशारे पर स्कूल के कुछ शिक्षकों ने छात्राओं को आगे पर आरोपी शिक्षक के पक्ष में कस्बे में रैली निकालकर थाने का घेराव भी कराया था।
दूसरे शिक्षक पर भी लगाए आरोप –
जहां एक ओर छेड़छाड़ के आरोपी प्रदीप जैन को बचाने छात्राओं को मोहरा बनाया जा रहा था वहीं कुछ छात्राओं ने गुपचुप एक अन्य शिक्षक पर भी गंभीर आरोप लगाए थे। 15 से ज्यादा दर्जन छात्राओं ने स्कूल के शिक्षक संतोष रावत की शिकायत कर आवेदन सौंपा था। इसकी जांच बीइओ आरपी उपाध्याय, छिरारी स्कूल की प्राचार्या सरोज तिवारी द्वारा की जा रही है। लेकिन इस मामले में अब तक जांच ही आगे नहीं बढ़ी है।
समाज की संवेदनाहीनता से था आहत –
शिक्षक ही हरकत से आहत अपनी बेटी की हालत से पिता परेशान था। ऊपर से प्राचार्या, शिक्षक और जैन समाज के लोगों द्वारा समझौते का दबाव उसे कमजोर कर रहा था। एक पिता इस वेदना और शिक्षकों की असंवेदनशीलता को झेल नहीं पाया और घर के पास बिजली के खंभे पर झूलकर मौत को लगे लगा लिया। मरने से पहले उसने अपनी और बेटी की मानसिक स्थिति को सुसाइड नोट में लिखा और दबाव बनाने वालों के नाम भी उजागर किए।
देखी नहीं जा रही बेटी की हालत –
पिता ने मरने से पहले सुसाइड नोट में लिखा उसे पढ़कर हर कोई ग्लानि से भर गया। उसने लिखा ‘बच्ची की हालत देखकर व प्रिंसिपल मेम (अरुणा शास्त्री) व जैन समाज से प्रताडि़त होकर एवं स्वयं की समाज के सहयोग में उदासीनता से प्रताडि़त होकर मैं आत्महत्या कर रहा हूं। न ही अब बच्ची से इस विषय में बात की जाए, वह पागल हो चुकी है, मैं उसकी हालत नहीं देख सकता। समाज के लोग दंगे जैसी स्थिति पैदा ने करें। मुझे रोज धमकियां आती ही रही हैं। मेरे फोन से किसी अनजान से बात करने की मैंने कोशिश की पर हुई नहीं। इसमें उसकी कोई गलती नहीं है। मैंने वह नंबर ऐसे ही डायल किया था अपनी खुशी से। रहली गढ़ाकोटा के सारे कुर्मी नेता आरोपी को बचाने में लगे हैं। यही बात मुझे कष्टदायक हो गई। देखते हैं मेरे मरने के बाद मेरी बच्ची व मुझे न्याय दिलवा पाते हैं या नहीं। ये पैरा मैंने अंधेरे में लिखा है।
प्राचार्या पर प्रताडऩा का अपराध दर्ज –
छात्रा के पिता द्वारा खुले में फंदा लगाकर जान देने के बाद लोगों का आक्रोश बाहर आ गया। जैसे ही गढ़ाकोटा अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा गया लोग उसे लेकर सड़क पर बैठ गए। चंद मिनट में ही सागर-जबलपुर हाइवे पर जाम लग गया। खबर लगने पर एसडीओपी अनुराग पांडे, टीआइ कमलेन्द्र करचुली मौके पर पहुंचे और लोगों को समझाने का प्रयास किया। मौके पर जिला पंचायत सदस्य ज्योति पटेल, कांग्रेस नेता कमलेश साहू भी पहुंचे। लोगों का गुस्सा देख पुलिस ने प्राचार्या अरुणा शास्त्री पर प्रताडऩा का आरोपी बनाया जिसके बाद लोग सड़क से हटे।