मृतक मनोज की बेटी ने दी मुखाग्नि
घटना में संजीव के बेटा की मौत हो जाने के बाद अब दोनों भाईयों के बीच कोई लड़का नहीं बचा है और शनिवार को पांचों मृतकों के लिए मनोज की बेटी महक ने मुखाग्नि दी। पांचों मृतकों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया।
मजदूरी कर चलाते थे परिवार का खर्च
संजीव और मनोज मजदूरी कर परिवार का खर्च चलाते थे। साथ ही उनका भांजा सौरभ भी साथ में रहता है जो स्टेशन पर स्टॉल पर काम करता है। वह भी परिवार चलाने में मदद करता था। जबकि आरोपी के परिवार में प्रवीण रेलवे में नौकरी करता है और पिता मनोहर को भी पेंशन मिलती है, लेकिन जुआ, सट्टा खेलने के कारण उनपर बहुत ज्यादा कर्ज हो गया था और पीछे की जमीन लेकर वह उसे बेचने की फिराक में थे। आरोपियों का दो मंजिला पक्का मकान भी बना हुआ है।
कमरे में नहीं होते बंद तो सभी को मार देते आरोपी
संजीव की बहन रजनी ने बताया कि वह करीब आठ दिन पहले बीना अपने बेटा सौरभ से मिलने आई थीं। रात में जब यह घटना क्रम हुआ तो वह बच्चियों को लेकर एक कमरे में बंद हो गई नहीं तो आरोपी सभी की जान ले लेते। घटना के समय मनोज की पत्नी मौके पर नहीं थी वह सागर गई थी, जिससे उसकी भी जान बच गई।
बच्चों को खाना भी नहीं खिला पाई राजकुमारी
रात में घटना के समय राजकुमारी खाना बना रही थी और बच्चे खाना खाने के लिए बैठे हुए थे, लेकिन जब गोलियां चली तो राजकुमारी की जान चली गई और बच्चे भूखे बैठे हुए थे। पुलिस जब पहुंची तो चूल्हे में आग जलती मिली और आटा रखा हुआ था। घटना के बाद बच्चे भी वहीं जाकर बैठ गए थे।
फरार आरोपियों तक पहुंची पुलिस
प्रवीण, प्रशांत अपनी दोनों बहनों और मां के साथ घटना के बाद से ही फरार हो गए थे और पुलिस की टीम भी इनके पीछे तत्काल रवाना हो गई थी। इन दोनों आरोपियों को शनिवार दोपहर पुलिस ने नागपुर से गिरफ्तार कर लिया है और टीम आरोपियों को बीना लेकर आ रही है।
एक आरोपी को भेजा जेल
तीनों आरोपियों के खिलाफ धारा 307, 302, 34और 25, 27, 30 आम्र्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। बंदूक का लायसेंस मनोहर के नाम पर है और उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।
अनिल मौर्य, थाना प्रभारी, बीना