शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रहली की छात्रा इशिता ने बताया कि उसने कोई कोचिंग नहीं की। स्कूल और घर पर सेल्फ स्टडी से ही पूरा कॉन्सेप्ट क्लीयर किया। कला संकाय में उसे 500 में 480 अंक मिले हैं। उसकी सफलता के बाद घर बधाई देने वालों का तांता लग गया। इससे भावुक पिता अरुण दुबे ने कहा कि बेटी ने परिवार को गर्व से भर दिया। इशिता ने कहा कि अब पीएससी की तैयारी करना चाहती हूं। उसने कहा, सफलता में मातापिता के साथ प्राचार्य अरुणा शास्त्री का सहयोग रहा।
वहीं सतना के मैहर की शुचिता पांडेय ने 10वीं में प्रदेश की सूची में प्रथम स्थान हासिल किया। उसे 99.2% अंक मिले। सतना की यह बेटी आइएएस अफसर बनना चाहती हैं। मैहर की ब्लू बैल्स हाईस्कूल की छात्रा शुचिता के पिता सत्यनारायण पांडेय अतिथि शिक्षक, मां निजी स्कूल में टीचर हैं। शुचिता ने कहा, मातापिता दोनों शिक्षक हैं, पर आय इतनी नहीं कि दोनों बेटियों को ट्यूशन पढ़ा सकें। इसलिए सेल्फ स्टडी की। रोज 12 से 14 घंटे की पढ़ाई की। शिक्षकों ने लॉकडाउन में भी पढ़ाई जारी रखवाई।
वहीं आगरमालवा के पिलवास (नलखेड़ा) की छात्रा टीना चौहान ने प्रदेश की प्रावीण्य सूची में नौवां स्थान प्राप्त कर सबका नाम रोशन किया। कला संकाय की टीना की उपलब्धि पर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने हौसला बढ़ाया। छात्रा को परिवार के साथ दतर बुलाकर समान किया। डीईओ ने अपनी कुर्सी पर बैठाकर उसे एक दिन का डीईओ बनाया। टीना बोलीं, पापा ने सिखाया, ऐसा काम करो, जिससे किसी को हानि न पहुंचे। उनके बताए रास्ते पर चलकर ही यह सफलता मिली।
बहन भी थीं टॉपर : आइएएस का सपना
बड़ी बहन अंजली ने भी दो साल पहले हाईस्कूल परीक्षा में प्रदेश में पांचवां स्थान हासिल किया था। उसी से प्रेरणा लेकर तैयारी शुरू की और प्रदेश में पहलास्थान हासिल किया।
टीना बोलीं, मुझे पापा ने सिखाया है, ऐसा कार्य करो, जिससे किसी दूसरे को हानि न पहुंचे। पापा के बताए मार्ग पर चलते हुए मुझे यह सफलता मिली है। मैं आइएएस बनकर पापा का सपना साकार करना चाहती हूं।