scriptआवास मिले हुए एक सप्ताह भी नहीं हुआ और तोड़ दी दीवार | Found accommodation Not even a week and broke the wall | Patrika News

आवास मिले हुए एक सप्ताह भी नहीं हुआ और तोड़ दी दीवार

locationसागरPublished: Sep 25, 2018 10:00:08 am

Submitted by:

sunil lakhera

58 कर्मचारियों को आवास मिले, कई पर लगे अपात्र होने के आरोप, कमिश्नर से की लिखित शिकायत

Found accommodation Not even a week and broke the wall

Found accommodation Not even a week and broke the wall

सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में तृतीय वर्ग के कर्मचारियों के आवास वितरण में गड़बड़ी के अलावा शर्तों के उल्लंघन का मामला सामने आया है। एक कर्मचारी ने नियम विरुद्ध तरीके से अपने अवास का स्वरूप बदल दिया है। उसने दीवार तोड़कर दरबाजे का मुंह दूसरी तरफ किया है। शर्तों के अनुसार कोई भी कर्मचारी आवास में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं करा सकता है। उधर, आवंटन प्रक्रिया को लेकर कई नाखुश कर्मचारियों ने कमिश्नर को भी इसकी शिकायत की है। कई कर्मचारी अब कोर्ट जाने की तैयारी में हैं। कर्मचारियों के आवास आवंटन को लेकर 17 अप्रैल को एक सूची तैयार हुई थी, लेकिन इसे जारी नहीं किया गया। इसके बाद 11 सितंबर को तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की आवास आवंटन सूची बनी। यह सूची एक दिन में दो बार जारी हुई। पहली सूची में ज्वाइनिंग डेट नहीं थी। शाम को दूसरी सूची लगाई गई। इसमें कई कर्मचारियों के क्रम बदलकर उन्हें आवास से वंचित रखा गया।
एक भी फार्मासिस्ट को नहीं मिला आवास
प्रबंधन ने टाइप 6 के साथ टाइप 5 के बी ब्लॉक में खाली पड़े आवास कर्मचारियों को वितरित किए गए हैं। इनकी संख्या ५८ है। टाइप 5 आवास डिमोस्ट्रेटर पद के लिए आरक्षित थे। बीएमसी में कई डिमोस्ट्रेटर ऐसे हैं जिन्हें अब तक आवास नहीं मिले हैं। वहीं, इस प्रक्रिया में अब तक एक भी फार्मासिस्ट को आवास नहीं मिल सका।
ये हैं लापरवाही के मामले
बीएमसी में लैब तकनीशियन के पद पद तैनात मनमोहन मिश्रा पिछले छह महीने से गायब हैं। हालही में प्रबंधन ने १५ दिन के अंदर उपस्थिति दर्ज कराने और आवास का पजेशन लेने के निर्देश दिए हैं। हैरानी की बात यह है कि लंबे समय से बगैर वेतन यह कर्मचारी गायब है। बावजूद इसके इस कर्मचारी को प्रबंधन ने आवास आवंटित किया है।
लिपिक अजय घनघोरिया ने नियम विरुद्ध तरीके से आवास की दीवार तोड़ी और दरवाजे का मुंह दूसरी तरफ किया है। शर्तों के अनुसार कोई भी कर्मचारी बगैर अनुमति के आवास में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं करा सकता है यह शर्त भी है।
लोकायुक्त मामले में आरोपी लिपिक अंकित दुबे को प्रबंधन ने आवास वितरित कर दिया है। जानकारी के अनुसार दुबे का सागर में मकान हैं और वह घर में इकलौता पुत्र है। नियमानुसार प्राथमिकता बाहरी कर्मचारियों को दी जाना चाहिए, लेकिन यहां पर इसकी अनदेखी की गई है। महिला कर्मचारी अंजली चौबे को भी इसी तरह आवास दिया गया है, जबकि उनका घर सागर में है।
बीएमसी में नर्स के पद पर पदस्थ दो सगी बहनें सिंसी जॉय और संसा जॉय को भी आवास वितरित किए गए हैं। जबकि इनको हॉस्टल में कमरे पहले दिए गए थे। ऐसे में नियमों की अवहेलना भी सामने आ रही है।

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