बुधवार को जब पत्रिका की टीम इन केंद्रों पर पहुंची तो स्थिति चौका देने वाली मिली। आंगनबाड़ी केंद्र क्रं ८७ में नौनिहाल जमीन पर बैठे हुए थे और छत से पानी टपक रहा था। भवन जर्जर होकर गिरने की स्थिति में है। चारों दिवारों और नीचे जमीन पर पानी है। अंधेरे में मोबाइल की रोशनी दिखाकर बच्चों को खाना खिलाया जा रहा था। केंद्र पर ० से ६ उम्र के वर्ष तक के विद्यार्थियों की संख्या १६० दर्ज है, लेकिन बारिश की वजह से यहां बच्चों की उपस्थिति की संख्या न के बराबर मिली।
नहीं है बिजली और शौचालय
केंद्र के नाम पर केवल यहां एक कमरा है और वो भी जर्जर है। यहां बिजली और शौचालय का इंतजाम नहीं है। बारिश होते ही केंद्र में अंधेरा छा जाता है। कार्यकर्ता गीता रैकवार ने बताया कि केंद्र पर जो पहले से शौचालय बना हुआ था वो इस्तेमाल करने की स्थिति में भी नहीं है। इससे सुबह 10.30 से 4.30 बजे तक बच्चों को रोकने में परेशानी होती है। बच्चों को ही नहीं हम भी परेशान हैं। बिजली न होने से अंधेरे में ही बच्चों ने खाना खाया है। केंद्र के चारों ओर पानी भर गया है।
सामुदायिक भवन में लग रहा केंद्र
इसी ग्राम में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र क्रंमाक ८७ सामुदायिक भवन में २००७ से संचालित हो रहा है। यह भवन कभी भी गिर सकता है। दीवारें गिरने लगी है। केंद्र में फर्श भी नहीं है। यहां भी बिजली नहीं है। शौचालय ऐसे हैं जिनका इस्तेमाल ही नहीं कर सक ते। हालात यह हैं कि कार्यकर्ता खाना खिलाकर बच्चों की छुट्टी कर देती हैं। कार्यकर्ता गेंदाबाई ने बताया कि केंद्र के लिए यही भवन हमें संचालित करने दिया गया है, लेकिन कई तरह की असुविधाएं हैं।
हर वक्त रहता है डर
आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाली हेमरानी ने बताया कि जर्जर भवन में आंगनबाड़ी संचालित होने से बच्चों को खतरा बना रहता है। यहां बच्चों को भेजकर जोखिम नहीं उठाना चाहते। कुछ देर के लिए हम उनके साथ आते हैं। सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ नहीं है।
अंधेरे में बैठते हैं नौनिहाल
केंद्र पर बारिश में पानी भर जाता है। चारों ओर से पानी भरे होने के कारण कई तरह के जीव-जन्तु अंदर आ जाते हैं। यहां बिजली न होने से अंधेरा रहता है। अधिकारियों द्वारा कोई सुविधाएं नहीं बढ़ाई जा रही हैं।
इस सेक्टर का प्रभार 8 दिन पहले ही मैनें लिया है। स्थिति ठीक नहीं है। केंद्र क्रं ८७ के लिए हम किराए के भवन की तलाश कर रहे हैं।
सुषमा जैन, परियोजना अधिकारी