1200 स्कूलों में नहीं है बिजली
जिले में 3 हजार 59 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल हैं। इनमें से लगभग 1200 स्कूलों में बिजली की व्यवस्था ही नहीं है। वर्षों पुराने इन स्कूलों में आज भी बच्चे अंधेरे में पढ़ाई करते हैं। इन स्कूलों में बारिश और गर्मी के मौसम में परेशानी अधिक बढ़ जाती है। वहीं ऐसे भी कई स्कूलों जहां बिजली कट जाने के बावजूद हजारों रुपए का बिल थमाया गया है। राशि इतनी अधिक है कि वो स्कूल प्रबंधन नहीं भर सकता है।
हर साल मिलते हैं साढ़े 12 हजार रुपए
प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में मरम्मत, रंगरोगन, शौचालयों की स्वच्छता के लिए शासन द्वारा प्रतिवर्ष केवल साढ़े 12 हजार रुपए साल दिया जाता है। स्कूलों की चिंता यह है कि यदि इस राशि से बिजली बिल भरा तो बाकी खर्च कैसे करेंगे। साथ ही हर माह का बिजली बिल भरने के पहले पिछला हजारों रुपए का बिल कैसे भुगतान किया जाएगा।
केस-1
शसकीय स्कूल बमोरा में बाहर लगे घरेलू मीटर का कभी उपयोग नहीं हुआ। यहां एक बल्ब भी नहीं जलता है और वर्तमान में बिजली बिल ३०,२३३ रुपए आया है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि सितंबर माह में ही बिल ६०४ रुपए आया है। अब तक की कुल राशि का भुगतान हम नहीं कर सकते हैं। बमोरा शाला प्रबंधन समिति इसे भरने के लिए असमर्थ है।
केस-2
शासकीय प्राथमिक शाला कन्या पड़ाव में बिजली बिल की वाकया राशि 23 हजार पर पहुंच गई है। जबकि यहां भी शाला प्रबंधन के पास बिजली बिल भरने के लिए कोई अतिरिक्त राशि नहीं है। इस माह का बिल 2 हजार से अधिक आया है।
स्कूलों को व्यावसायिक दर पर बिजली उपलब्ध कराई जा रही है जिससे स्कूलों का बिजली बिल बहुत ज्यादा आता है, अब घरेलू दर पर बिजली उपलब्ध होगी, लेकिन स्कूल प्रबंधन पिछली बाकया राशि को भरने में असमर्थ हैं। यह जानकारी भोपाल भेजी जा रही है।
एचपी कुर्मी, डीपीसी