पड़ताल में सामने आया कि सागर जीआरपी के दायरे में आने वाले 21 स्टेशनों के बीच सिर्फ 4 स्टेशनों पर बल तैनात है। खुरई, मकरोनिया, नरयावली, जरुआखेड़ा, गिरवर, लिधौरा खुर्द, सुमरेरी, बघौरा, रतौना, करौंदा जैसे करीब छोटे 17 स्टेशन एेसे हैं, जहां एक भी पुलिसकर्मी तैनात नहीं है। वहीं जब किसी स्टेशन पर कोई घटनाक्रम घटित हो जाता है तो वहां तक पहुंचने के लिए भी जीआरपी के पास संसाधनों के रूप में महज एक कंडम जीप और दो बाइक ही मौजूद हैं। वर्तमान वाहन ऐसी हालत में हैं कि इनका उपयोग करना मुश्किल है। जीप कंडम हो चुकी है, वहीं बाइक भी पुरानी हैं। जिनके सहारे यदि मौके पर पहुंचने की कोशिश की जाए तो बीच रास्ते में कई बार बाइक सुधरवानी पड़े। मजबूरन अधिकारी अन्य संसाधनों का उपयोग कर मौके पर पहुंच रहे हैं।
अपराधों की जांच की कछुआ चाल
रेलवे अपराधों पर नजर डालें तो जनवरी 2017 से अब तक 157 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें अपहरण, लूट, चोरी, मारपीट के मामले सबसे ज्यादा हैं। छोटे स्टेशनों पर अपराधों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन यहां जीआरपी का बल ही तैनात नहीं है। घटना होने पर सागर, खुरई, दमोह व पथरिया से बल मौके के लिए रवाना होता है। इतने समय में अपराधी वारदात कर फरार हो जाते हैं। कई मामले एेसे हैं, जिनकी महीनों से जांच चल रही है लेकिन पुलिस के हाथ अब तक कुछ भी नहीं लगा है।
स्टेशनों के लिए बल काफी कम है। इसके संबंध में कई बार प्रपोजल बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजा गया है। बल कम होने से काफी परेशानी हो रही है।
अनिल मरावी, एसआई, जीआरपी सागर मैंने हाल ही में ज्वाइन किया है। अभी मैं ट्रेनिंग पर हूं। लौटकर सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएंगी, साथ ही बल के लिए मुख्यालय से मांग करेंगे।
राकेश सिंह, एसपी, जीआरपी