सागरPublished: Jul 06, 2018 11:38:53 am
नितिन सदाफल
अभिभावकों पर फीस के साथ कीमतों का भी बोझ बढ़ गया
GST से स्टेशनरी व कॉपियों के भी दाम बढ़े
सागर. जीएसटी से भले ही स्कूलों की किताबों को मुक्त रखा गया हो, लेकिन पेट्रोल, डीजल की बढ़ती कीमत और मजदूरी व कागज आदि के रेट बढऩे के कारण कॉपी, किताबों के रेट बढ़ गए हैं। पिछले साल जहां प्राइवेट स्कूल के पांचवीं क्लास की किताबें 4 हजार रुपए में आती थीं, वहीं इस बार यह किताबें 4500 रुपए की आ रही हैं। हालांकि जीएसटी के बाद स्कूल बैग की कीमतों में तीन फीसदी की कमी भी आई है। निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावकों पर फीस के साथ बच्चों की कॉपी, किताब, स्टेशनरी, बैग आदि की बढ़ती कीमतों का भी बोझ बढ़ गया है। जिले में एमपी बोर्ड की करीब 500 स्कूलें हैं। सीबीएसइ की स्कूलों में मार्च, अप्रैल में ही प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के साथ स्टेशनरी आदि की खरीदी पूरी हो चुकी है, जबकि एमपी बोर्ड की स्कूलों के तहत किताब, कॉपियों की बिक्री अब जारी है। जिले में सीबीएसई और एमपी बोर्ड की किताबों का हर साल १० करोड़ रुपए से अधिक का मार्केट है।
परिवहन व लागत मूल्य के कारण बढ़ी कीमत
एमपी बोर्ड व सीबीएसइ स्कूलों में किताबों पर जीएसटी नहीं लगता है, लेकिन मजदूरी और परिवहन के नाम पर किताबों के रेट बढ़े है। हालांकि कॉपियों व अन्य सामग्री पर 18 प्रतिशत जीएसटी है। इस हिसाब से किताबों को छोड़ दें तो कॉपी और रजिस्टर के रेट बढ़ गए हैं। हालांकि दुकानदार कॉपियों पर दर्ज मूल्य से 20 प्रतिशत तक की छूट ग्राहकों को देते हैं। पुस्तक बिक्रेता एसके दुबे ने बताया कि पिछले साल की अपेक्षा बच्चों की कॉपियों के रेट में 10 से 15 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
स्कूल बैग हुए सस्ते
जीएसटी के बाद स्कूल बैग के दाम में कमी आई है। पहले ब्रांडेड कंपनी का एक स्कूल बैग १२०० रुपए का आता था, जो अब 1150 रुपए हो गया है। बैग कारोबारी संदर्भ जैन ने बताया कि पहले बैग पर 14 प्रतिशत वेट, 2 प्रतिशत सीएसटी, 1 प्रतिशत इंट्री टैक्स, 12 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लगती थी। जीएसटी के बाद अब 18 प्रति. टैक्स लग रहा है। शहर में हर साल 5 करोड़ रुपए का बैग का कारोबार होता है।
एक किताब पर 5 रुपए तक वृद्धि
सेंट्रल स्कूल के कक्षा 6 वीं के मैथ्स की किताब पिछले साल 50 रुपए की आती थी, जो इस साल 55 रुपए की हो गई है। होलसेल में दुकानदारों को कॉपियों में जीएसटी तो लगता है, लेकिन जब उसे फुटकर बेचते हैं तो उसमें दाम से कम 20 प्रतिशत की छूट देना पड़ती है। 1-1 कॉपी पर जीएसटी नहीं ले सकते हैं।
लंच बॉक्स से लेकर पेंसिल तक के रेट बढ़े
स्कूली बच्चों के जूते, मोजे, पेन, पेंसिल, लंच बॉक्स जैसी सामग्रियों के दाम में भी १० से १५ फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई है। बच्चों को स्कूल में लंच ले जाने के लिए प्लास्टिक का जो बॉक्स पिछले ६० रुपए का आता था वह १२० रुपए तक का आने लगा है।