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guru purnima special : आशुतोष राणा से गुरुदेव ने कहा- हवा में खूब उड़ो, लेकिन जमीन से जुड़े रहो

गुरु पूर्णिमा पर यात्रा सत्संग के कुछ अंश

सागरJul 16, 2019 / 02:56 am

govind agnihotri

guru purnima special

सागर. बात २001 की है, मेरा विवाह हुए मात्र पांच माह ही हुए होंगे। तभी गुरुदेव जिन्हें हम सभी शिष्य प्रेम और आदर से दद्दाजी संबोधित करते हैं का आगमन मुंबई हुआ। उनके साथ यात्रा पर निकल गया। मुंबई से शिर्डी और शिर्डी से औरंगाबाद होते हुए नागपुर के रास्ते पर थे। मैं जब भी परम पूज्य दद्दाजी के साथ होता हूं तो ड्राइविंग करने का अवसर मुझे मिल जाता है।

रास्ता कितना भी लम्बा क्यों ना हो पूज्य गुरुदेव दद्दाजी सड़क मार्ग से ही यात्रा करना पसंद करते हैं, उन्हें हवाई जहाज से यात्रा करना रुचिकर नहीं है। मैंने ड्राइव करते हुए ही उनको हवाई यात्रा के लाभ बताने शुरू कर दिए कि पूज्यपाद इससे आपका बहुत ज्यादा समय बचेगा। आप कम समय में बिना कोई शारीरिक कष्ट उठा, अधिक यात्रा कर सकेंगे। वे बोले, बेटा तुमने ठीक कहा। समय तो बच जाएगा लेकिन संस्कृति छूट जाएगी। जब हम सड़क मार्ग से यात्रा करते हैं तो हमें अपने देश और देशवासियों को अधिक करीब से जानने का अवसर मिलता है। इंसान कितनी भी सम्पत्ति क्यों न कमा ले लेकिन यदि उसे अपनी, अपने देश की और देशवासियों की संस्कृति का ज्ञान नहीं है तब वह संपत्तिवान होते हुए भी दरिद्र ही कहलाएगा। हर समय या काल की अपनी संस्कृति होती है बेटा, तो यदि तुम समय को समझना या साधना चाहते हो तो तुम्हें उसकी संस्कृति को समझना होगा, मुझे तो जमीन पर ही चलने दो। हवा में उडऩे से कहीं अधिक कल्याणकारी जमीन से जुड़े रहना है, मैं चाहता हूं कि तुम विभिन्न लोगों से मिलो, उनके भाव-भाषा, आचार-विचार, रहन-सहन को समझो, क्योंकि ‘लोगÓ ही आपस में मिलकर लोक का निर्माण करते हैं।

मैंने कहा दद्दाजी लोग तो हर कहीं हैं, वे हमें हवाई अड्डे, हवाई जहाज में भी मिल जाएंगे। उन्होंने कहा हवा में उडऩे की क्षमता आते ही व्यक्ति, विशेष हो जाता है। मैं चाहता हूं क तुम सिर्फ विशेष ही नहीं, शेष व्यक्तियों में मौजूद उस विशेषता को समझने की क्षमता पैदा करो जो परमात्मा ने उन्हें दी है। हवा में ख़ूब उड़ो लेकिन जमीन से जुड़े रहो।

कनेक्ट करने का काम करते हैं गुरु

कटनी में गुरु पूर्णिमा महोत्सव के लिए आए आशुतोष राणा ने पत्रिका से खास बात की। उन्होंने बताया कि उनके जीवन में गुरु का क्या महत्व है। राणा ने कहा कि गुरु हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं। गुरु करेक्ट करने का काम नहीं करते हैं, बल्कि वो आपको कनेक्ट करने का काम करते हैं। वे आपमें व्याप्त सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा को मिला देते हैं। सकार और नाकार मिलता है तो ओंकार की ध्वनि निकल जाती है। युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि जीवन में सद्गुरु का आश्रय मिल जाए तो जीवन धन्य हो जाता है। जीवन में यदि हमें कुछ मिलता है तो वह कर्म और भाग्य से मिलता है, लेकिन कृपा से भी हमें बहुत कुछ मिल जाता है। जैसे किसी भी बिजली के तार को जलाने के लिए प्लस और माइनस वायर की जरूरत होती है। उससे बल्ब जल जाता है, लेकिन हाई वोल्टेज के लिए थ्री पिन की जरूरत पड़ती है। न्यूट्रल वायर न हो तो प्रकाश अंधकार मय हो जाएगा। कर्म और भाग्य के ऊपर कृपा रूपी थ्री पिन नहीं रहता तब तक हाई वोल्टेज नहीं पा सकते। किसी सद्गुरु का आश्रय हो तो विश्वास कीजिए कि आपका घर तो चमकेगा ही साथ ही मोहल्ला और नगर, गांव में भी उजास फैलेगा।

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