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2 सितंबर को हरतालिका तीज व्रत, गणेश चतुर्थी व्रत भी इसी दिन

2 सितंबर को हस्त नक्षत्र में मनेगी हरतालिका तीज,इसी दिन गणेश चतुर्थी भी होने से लोगों में दिनांक को लेकर संशय,क्या है हरतालिका व्रत कथा और व्रत का महत्व,हरतालिका तीज पूजन विधि

सागरAug 29, 2019 / 05:31 pm

Samved Jain

Hartalika Teej 2019 Date: Hartalika Teej 2 September 2019 ko hai

दमोह. हरतालिका तीज 2019 में 2 सितंबर को मनाई जाएगी। 2019 में हरतालिका तीज और गणेश चतुर्थी व्रत एक ही दिन मनाया जाएगा। हस्त नक्षत्र में हरतालिका तीज मनाई जाएगी। हस्त नक्षत्र होने के कारण हरतालिका तीज का महत्व बढ़ जाता है। हरतालिका तीज की दिनांक को लेकर बन रहे संशय का निबटारा करते हुए यह बात आचार्य पंडित रविशास्त्री ने बताई है।
 

उन्होंने बताया कि हरतालिका व्रत व गणेश चतुर्थी व्रत लोक विजय पंचांग के अनुसार 2 सितंबर को ही मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस दिन हस्त नक्षत्र होने के कारण तृतीया का विशेष महत्व बढ़ जाता है। हरतालिका तीज व्रत अखंड सुख सौभाग्य चाहने वाली स्त्रिया करती हैं। इस दिन शिव पार्वती का पूजन किया जाता है। महिलाओं द्वारा निर्जला व्रत के साथ रात्रि जागरण कर पूजन किया जाता है। इस वर्ष हरतालिका तीज व श्रीवरद गणेश चौथ व्रत दोनों 2 सितंबर को साथ में ही पड़ रहा है। इसलिए लोगों में संशय की स्थिति है। इस दिन ब्राह्मण को अनाज वस्त्र पान दक्षिणा श्रद्धा पूर्वक देना चाहिए भगवान शिव के प्रति वस्तु को सिद्ध पंचाक्षरी मंत्र से कहकर के समर्पित करना चाहिए और भगवान को प्रणाम करना चाहिए।
 

हरतालिका व्रत कथा और व्रत का महत्व
हरतालिका व्रत की कथा को बताते हुए कहा कि एक बार राजा हिमांचल के यहां देवर्षि नारद का आगमन होता है राजा हिमांचल ने उनका स्वागत सत्कार किया है देवर्षि नारद ने बताया कि मैं भगवान विष्णु का भेजा हुआ आया हूं और भगवान विष्णु ने आपकी कन्या पार्वती का वरण स्वीकार किया है क्या आप को स्वीकार है राजा हिमांचल ने कहा इससे बड़ा मेरी कन्या का क्या सौभाग हो सकता है कि स्वयं परमात्मा भगवान विष्णु मेरी कन्या को पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे जब यह बात भगवती पार्वती को पता चली तो उनको बड़ा दुख हुआ और वह भोलेनाथ जी की तपस्या करने के लिए अपनी सखी के साथ में गहन वन में प्रस्थान कर गई तब महाराज हिमांचल को बड़ी वेदना हुई और भगवती पार्वती को ढूंढते हुए वन में पहुंचे उस समय भगवती पार्वती भोलेनाथ जी की बालू की शिव प्रतिमा स्थापित कर विविध वन पुष्प फूलों से पूजन करने लगी उसी दिन भाद्रपद मास की तृतीया शुक्ल पक्ष हस्त नक्षत्र युक्त थी।

 

हिल उठा था भगवान शिव सिंहासन
मेरी पूजा के फल स्वरुप भोलेनाथ जी कह रहे हैं भगवती पार्वती से कि मेरा सिंहासन हिल उठा मैंने जाकर के तुम्हें दर्शन दिया और तुमसे कहा हे देवी मैं तुम्हारे व्रत और पूजन से अति प्रसन्न हूं तुम अपनी कामना मुझसे वर्णन करो फिर मैंने तुम्हें तुम्हारी इच्छा के अनुसार वरदान दिया और मैं अंतध्र्यान हो गया उसके बाद तुम्हारे पिता तुम्हें ढूंढते हुए आए और तुम्हें पाकर के बहुत प्रसन्न हुए और तुम्हारी इच्छा अनुसार तुम्हारा विवाह मेरे साथ तय हुआ और विधि विधान के साथ मेरा और आपका विवाह संपन्न हुआ।

 

हरतालिका तीज पूजन विधि
श्री शास्त्री ने कहा कि हस्त नक्षत्र युक्त भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया का जो भी माताएं या पति को चाहने वाली कन्याएं व्रत करती हैं उनका निश्चित ही मनोरथ सिद्ध होता है व्रत की विधि बताते हुए आचार्य पंडित रवि शास्त्री जी महाराज ने कहा कि यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वितीया की शाम को आरंभ करें। यह व्रत निराहार, बिना फलाहार और निर्जला होकर के रहना चाहिए भगवान शिव पार्वती की स्वर्ण की प्रतिमा स्थापित करके केले पुष्प बिल्वपत्र आदि के खंभे स्थापित करके जिसे हम स्थानीय भाषा में फुलेरा कहते हैं। वस्त्र के चंन्देवा तानकर कर बंदनवारे लगा कर के भगवान शिव की मूर्ति बालू का शिवलिंग स्थापित करके ब्राह्मण द्वारा वैदिक मंत्र स्तुति गान वाद्य घंटा मृदंग झांझर आदि से रात्रि को जागरण करना चाहिए और भगवान शिव के पूजन के बाद फल फूल पकवान मेवा लड्डू मिष्ठान तरह-तरह के भोग की सामग्री समर्पण करें।

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