मुखबिर की सूचना पर पकड़े गए तस्कर –
गांजा की तस्करी का नेटवर्क लंबे समय से ओडिशा और छत्तीसगढ़ से जुड़ा रहा है। कुछ महीने पहले भी महाराजपुर पुलिस, सुरखी पुलिस द्वारा लग्जरी कारों को जब्त किया गया था जिनमें भारी मात्रा में गांजा भरा मिला था। लाखों रुपए कीमत के इस गांजे को नक्सल प्रभावित ओडिशा से लाया गया था। वहीं गुरुवार को जो कार गोपालगंज पुलिस ने राजघाट रोड से मुखबिर की सूचना पर घेराबंदी कर पकड़ी है वह छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग में दर्ज है। इससे कार में लादा गया गांजा भी छत्तीसगढ़ से लाने का अनुमान है।
चार लाख के गांजे के साथ तीन को दबोचा –
पुलिस को राजघाट रोड से गांजे की खेप कार द्वारा सागर में लाने की सूचना मिली थी। सूचना पर टीआइ एनपी दायमा के निर्देशन में वे एसआई नीरज जैन, आरक्षक विनोद यादव, बृजेश, सत्येन्द्र, रमेश गुरु व अन्य पुलिसकर्मी रवाना हुए। टीम ने मेनपानी गांव के आसपास सड़क पर घेराबंदी की और जैसे ही कार सामने दिखी उसे रोक लिया गया। कार से पुलिस ने मंडला निवासी मुकेश मात्रे के अलावा दमोह निवासी भरत प्रजापति और कल्याण चक्रवर्ती को हिरासत में ले लिया। तीनों को कार सहित थाने लाया गया जहां उनसे गांजा तस्करी के नेटवर्क को लेकर पूछताछ जारी है।
कार में सीट के नीचे छिपाया था गांजा –
बदमाशों के लंबे समय से गांजा तस्करी में लिप्त होने का अनुमान लगाया जा रहा है क्योकि जिस कार को पुलिस ने जब्त किया है उसमें सीट के नीचे जगह बनाकर उसमें गांजे के पैकेट छिपाए गए थे। अकसर पुलिस गाड़ी की डिक्की और अंदर तलाशी लेती है जिसकी वजह से बदमाशों ने गांजा फिक्स सीटों के नीचे रखा था। लेकिन सूचना के मुताबिक गांजा नहीं मिला तो पुलिस ने सीट खुलवाई तो बदमाशों की कोशिश विफल हो गई।
पुलिस ने कार से हटाई नंबर प्लेट –
बुधवार दोपहर गांजा तस्करों को दबोचने के बाद 24 घंटे से भी ज्यादा समय बाद केस दर्ज करने को लेकर गोपालगंज पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में है। इससे पहले भी गोपालगंज थाने सहित जिले के छोटे-छोटे थानों और चौकियों में गांजे की खेप जब्त की गई हैं। वहां बल और संसाधनों की कमी के बाद भी कुछ घंटे में ही अपराध दर्ज कर किए गए हैं लेकिन गोपालगंज पुलिस 24 घंटे तक इस मामले में पड़ताल ही करती रही। वहीं गांजा तस्करों से जब्त कार की नंबर प्लेट हटाने का आशय भी समझ से परे है।