सागरPublished: Feb 11, 2019 09:15:34 pm
anuj hazari
प्रशासन ने अभी तक नहीं लगाई नलकूप खनन पर रोक
Here the water scarcity of the gargantuan in the winter
बीना. गर्मियां शुरू होने में अभी समय है, लेकिन उसके पहले ही क्षेत्र में जलसंकट गहराने लगा है। जिसके कारण लोगों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है, लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से नलकूप खनन पर रोक नहीं लगाई गई है। जिसके कारण अभी नव निर्माणों में और खेतों में नलकूप खनन धड़ल्ले से किए जा रहे हैं। यदि समय रहते इन पर रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले कुछ ही दिनों में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसेंगे।ब्लॉक के दर्जनों गांव में अभी से जलसंकट गहरा गया है जिसके कारण लोग पानी के लिए परेशान हैं। मालखेड़ी गांव में दिसम्बर माह से ही पानी की समस्या होने लगी थी जहां लोगों के लिए अभी गांव के बाहर जाकर खेतों के कुओं और नलकूपों से पानी भरकर लाना पड़ रहा है। गौरतलब है कि इस गांव में पिछले साल जलसंकट इतना गहरा गया था कि लोगों को दूसरे गांव जाकर पानी लाना पड़ता था। इसके बाद भी प्रशासन की ओर से पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए कोई खास प्रयास नहीं किए गए हैं। जिस बजह से इस वर्ष और भी ग्रामीणों को परेशान होना पड़ रहा है। इसलिए प्रशासन इस ओर ध्यान देना होगा और पानी के लिए व्यवस्था करानी होगी। वहीं कस्बे के रुप में तेजी से विकसित हो रहे खिमलासा में भी भारी जलसंकट हैं। यहां पर मुख्य बाजार में रहने वाले लोगों के लिए करीब दो किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ रहा हैं। वहीं दूसरी ओर नईबस्ती में रहने वाले लोगों को खेतों में चल रहे ड्यूबवेल के सहारे पीने का पानी मिल रहा है।
यूपी से लगे करीब एक दर्जन से ज्यादा गांव में भी समस्या
मप्र और यूपी की बार्डर से लगे करीब एक दर्जन से ज्यादा गांव पथरीले होने के कारण यहां भी जलसंकट गहराने लगा है। जहां के लोग गर्मियों में गांव से पलायन करके दूसरे शहरों में जाकर रहने लगते हैं। ग्राम देवल में बारिश को छोड़ बाकी महीनों में पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। जो कई किलोमीटर दूर गांव से बाहर से पानी लाते हैं। इसके अलावा भानगढ़, बेलई, कंजिया, बारधा, देहरी, माहदेवखेड़ी, सेमरखेड़ी, बसाहरी सहित दर्जनों गांव में लोग पीने के पानी के लिए भी परेशान हो रहे हैं। गंभीर समस्या होने के बाद भी प्रशासन पानी की व्यवस्था करने के लिए किसी योजना पर काम नहीं कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों बनी नलजल योजनाएं भी बंद पड़ी हैं। यदि नलजल योजनाएं ही चालू कर दी जाएं तो कुछ हद तक ग्रमीणों को राहत मिलेगी।