मां ने दिया पेपर तो पिता ने पुचकारा
देवरी से आई वंदना तिवारी ने राजनीति शास्त्र का पेपर देने पहुंची। उनके साथ छोटा सा बच्चा और पति भी थे। वंदना जब पेपर देने के लिए लाइन में खड़ी थी तो पिता ने बच्चे को पुचकारा। लेकिन करीब ८ घंटे बच्चे को सम्हालना उनके लिए चुनौती बन गया। दीपक तिवारी ने बताया कि सेंटर पर बैठने के लिए जगह नहीं है। जब जगह नहीं मिली गाडिय़ों के पीछे जमीन पर ही बैठना पड़ा। उन्होंने बताया कि वे करीब १०.३० पर सेंटर पर पहुंच गए थे और रिपोर्टिंग का टाइम १२.३० बजे था। परीक्षा २.३० बजे से शाम ५.०० बजे तक चलनी थी।
सुविधा न होने से हो गई पिता की परीक्षा
अनुपपुर से आई केसरी सिंह ध्रुवे ने भी गुरुवार को परीक्षा दी। अनुपपुर से ये रात में निकल गई थी और सुबह १०.३० बजे अपने पति सुर्दशन सिंह के साथ यहां पहुंची। सिंह ने बताया पत्नी का पेपर है लेकिन हमारे लिए चुनौती बन गया है। हमें यहां पीने का पानी भी नहीं मिला। पत्नी की भी १२.३० बजे एंट्री हुई। यहां टॉयलेट तक की व्यवस्था नहीं मिली। ऐसे में ८ घंटे का यहां समय निकलाना कठिन हो गया है।
हम यहां साथ देने आए हैं
गौरझामर से आई कविता जैन अपने पति आरके जैन के साथ पहुंची। इनकी तीन साल की बेटी भी साथ आई हुई थी। आरके जैन ने बताया कि लंबे समय से इस परीक्षा का इंतजार था। पत्नी कोई परेशानी न हो इसलिए यहां आए, तीन साल की बेटी हमारे साथ है। यदि केंद्र पर परिक्षार्थियों के लिए सुविधाएं मिलती तो अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र पर सुविधाओं का भी प्रसाशन को ध्यान रखना चाहिए।
रात में ही आ गए थे सागर
केंद्र पर कोई परेशान न हो इसलिए महोबा से आई खुशबु सक्सेना रात में सागर पहुंच गईं थे। पति निशांत सक्सेना शिक्षक हैं। निशांत न बताया कि खुशबु भी शासकिय स्कूल में शिक्षिक बनाना चाहती हैं इसलिए यह परीक्षा दे रही हैं। हमारा एक साल का बेटा है। छोटा बच्चा होने के साथ उन्होंने पढ़ाई की। उनकी मेहनत बेकार न जाए इसलिए हम यहां आए हैं।
केमेस्ट्री का कठिन रहा पेपर
पहली पारी में हुआ केमेस्ट्री के पेपर में परीक्षार्थी उलझ गए। बमुश्किल ८० नंबर ही अधिकांस परीक्षार्थी ला पाए हैं। परीक्षार्थी मधु सक्सेना ने बताया कि पेपर कठिन रहा। अधिकांश सवाल कठिन थे। लगभग ४० नंबर का पेपर ही बस सरल रहा।