फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक रहते हैं। पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन चैत्रकृष्ण प्रतिपदा में रंग खेला जाता है। शास्त्रों में होलाष्टक को लेकर कई कहानियां है। होलिका से जुड़ी कहानी के अनुसार कहा जाता है कि होलाष्टक के दिन से भक्त प्रह्लाद को कारागार में बंद कर दिया गया था और होलिका में जलाने की तैयारी की गई थी।
दूसरी कहानी के अनुसार कहा जाता है कि भगवान शिव ने होलाष्टक के दिन में कामदेव को भस्म किया था। वहीं होलाष्टक के दिन से ही होलिका के लिए लकडिय़ां रखी जाती है। जिस जगह होलिका दहन होगा उस जगह होली की लकडिय़ा इसी दिन से रखना शुरू होता है। भारत में कई जगह रगं को दुल्हैंडी भी कहा जाता है।
१० मार्च को खिलेगी होली
10 मार्च को धुरेड़ी होगी और इसी दिन सायं से ही गणगौर पूजा भी प्रारम्भ हो जाएगी। 14 मार्च से 13अप्रैल तक सूर्य मीन राशि मे रहेगा इसमें सूर्य मलिन माना जाता है इसलिए इस एक माह की अवधि में भी कोई शुभ मुहूर्त नही रहेंगे। अभी आज से 27 फरवरी तक और मार्च में केवल 6 दिन ही विवाह मुहूर्त हैं।
10 मार्च को धुरेड़ी होगी और इसी दिन सायं से ही गणगौर पूजा भी प्रारम्भ हो जाएगी। 14 मार्च से 13अप्रैल तक सूर्य मीन राशि मे रहेगा इसमें सूर्य मलिन माना जाता है इसलिए इस एक माह की अवधि में भी कोई शुभ मुहूर्त नही रहेंगे। अभी आज से 27 फरवरी तक और मार्च में केवल 6 दिन ही विवाह मुहूर्त हैं।
ये हैं मुहूर्त फरवरी – 16, 18, 25, 26, 27 तारीख
मार्च- 2, 3, 4, 8,11, 12 तारीख इसके बाद 16 अप्रैल से ही शुभ मुहूर्त रहेंगे
मार्च- 2, 3, 4, 8,11, 12 तारीख इसके बाद 16 अप्रैल से ही शुभ मुहूर्त रहेंगे