scriptहोलिका की राशि के अनुसार परिक्रमा करने पर होगी धन वृद्धि | Holi festival | Patrika News

होलिका की राशि के अनुसार परिक्रमा करने पर होगी धन वृद्धि

locationसागरPublished: Mar 19, 2019 07:25:03 pm

फाल्गुन पूर्णिमा के प्रदोष काल में होगा होलिका दहन, कल उड़ेगा रंग-गुलाल

फाल्गुन पूर्णिमा के प्रदोष काल में होगा होलिका दहन, कल उड़ेगा रंग-गुलाल

फाल्गुन पूर्णिमा के प्रदोष काल में होगा होलिका दहन, कल उड़ेगा रंग-गुलाल

सागर. रंगों का त्योहार होली किसी न किसी रुप में पूरे विश्व में मनायी जाती है, लेकिन संभवत: होलिका दहन का प्रावधान भारत में ही है। यह एक तरह से बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होलिका दहन, रंगों वाली होली के एक दिन पहले यानी फाल्गुन मास की पूर्णिमा को किया जाता है। पं. शिवप्रसाद तिवारी के मुताबिक आज फाल्गुन पूर्णिमा यानि बुधवार के प्रदोष काल में होलिका दहन होगा। 20 मार्च को भद्रा पूंछ शाम 5.35 से 6.35 और भद्रा मुख शाम 6.35 से 8.17 बजे तक रहेगा। ऐसे में होलिका दहन का शुभ मुहुर्त रात 8.58 बजे के बाद होगा।

50 से अधिक स्थानों पर होगा होलिका दहन

शहर मे होलिका दहन कार्यक्रम लगभग सभी मुख्य चौराहों पर आयोजित किया जाएगा। भीतर बाजार में शहर की सबसे बड़ी होलिका जलाई जाएगी। इसके अलावा बड़ाबाजार, मोतीनगर, मातामडिय़ा गोपालगंज, मुख्य बसस्टैंड, इतवारा बाजार, विजय टॉकीज, राधाटॉकीज चौराहा, तीनवत्ती, कटरा, परकोटा, बसस्टैण्ड, पुरव्याऊ टौरी, सदर, चकराघाट, तिली, डॉ. हरिसिंह गौर विवि परिसर और मकरोनिया चौराहे सहित सभी प्रमुख स्थानों पर होलिका दहन होगा।
होलिका दहन की कहानी
पौराणिक मान्यता के अनुसार दैत्यराज हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानता था, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के अलावा किसी की पूजा नहीं करता था। यह देख हिरण्यकश्यप काफी क्रोधित हुआ और अंतत: उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे आग से कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद आग से बच गया, जबकि होलिका आग में जलकर भस्म हो गई। उस दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा थी। इसी घटना की याद में होलिका दहन करने का विधान है। बाद में भगवान विष्णु ने लोगों को अत्याचार से निजात दिलाने के लिए नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया।
होलिका में दें इनकी आहुति

– होलिका दहन के दौरान कच्चे आम, नारियल, भुट्टे, चीनी के बने खिलौने, सांकेतिक रुप से नई फसल का कुछ अंश की आहुति दी जाती है।
– होलिका दहन से पहले पूजा की जाती है। इस दौरान होलिका के पास जाकर पूर्व या उतर दिशा की ओर मुख करके बैठकर पूजा करनी चाहिए।
– कच्चे सूत को होलिका के चारों और तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटना होता है।
– शुद्ध जल व अन्य पूजन सामग्रियों को एक-एक कर होलिका को समर्पित किया जाता है।

– पूजन के बाद जल से अर्ध्य दिया जाता है। एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल आदि।
– नई फसल के अंश जैसे पके चने और गेंहूं की बालियां भी शामिल की जाती हैं।
– मान्यता है कि होलिका की अग्नि में सेक कर लाये गये अनाज खाने से व्यक्ति निरोग रहता है।
– होली की बची हुई अग्नि और राख को अगले दिन प्रात: घर में लाने से घर से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
होलिका दहन मुहूर्त
रात्रि 8.58 से 12.28बजे तक

अवधि – 3 घंटा 30 मिनट
भद्रा पुंछ – 14.53 से 15.54 तक

भद्रा मुख – 15.54 से 17. 37 तक

राशि अनुसार करें परिक्रमा
यदि राशि के शुभ अंक के हिसाब से परिक्रमा की जाए तो ग्रह बाधायें दूर हो सकती हैं। अन्य लाभ भी होते हैं जैसे रुके हुए शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं, धन संबंधि फायदा होगा और नव संवत्सर की शुरूआत में आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलने की संभावना बनती है। ऐसे में जानें कि किस राशि वाले लोगों को लगानी होंगी कितनी परिक्रमा।
मेष – 9 परिक्रमा

वृष – 11 परिक्रमा
मिथुन – 07 परिक्रमा

कर्क – 28 परिक्रमा
सिंह – 29 परिक्रमा

कन्या – 07 परिक्रमा
तुला – 21 परिक्रमा

वृश्चिक – 28 परिक्रमा
धनु – 23 परिक्रमा
मकर – 15 परिक्रमा
कुंभ – 25 परिक्रमा

मीन – 9 परिक्रमा

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