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बारात आने से पहले जल गया पूरा घर, 24 घंटे में गांववालों ने पेश कर दी मिसाल

locationसागरPublished: May 26, 2022 02:04:27 pm

Submitted by:

Manish Gite

दहेज से लेकर घर का पूरा सामान जला, बारातियों के स्वागत के लिए भी कुछ नहीं बचा था…।

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रहली (सागर)। बेटी के हाथ पीले करने का सपना सजाकर बड़े जतन से उसे विदा करने की तैयारी कर रहे पिता के सपने आग की लपटों की भेंट चढ़ गए। बेटी को उपहार में देने खरीदा सामान ही नहीं बारातियों की आवभगत के लिए तैयार भोजन भी लपटों में उनके सामने स्वाहा हो गया। जहां सात फेरों के लिए हवन वेदी में अग्नि को साक्षी बनना था वहां आग की लपटें भभक रहीं थीं। बेटी की विदाई से चंद घंटे पहले का यह पीड़ादायी दृश्य रहली के रेवझां गांव का था। इस घटना ने भले सामान राख कर दिया था, लेकिन इस राख से इंसानी रिश्तों के जो अंकुर फूटे हैं वे अपने आप में मिसाल बन गए।

 

 

रेवझां पिपरिया में बुधवार को खेतान बहादुर लोधी के घर बेटी की बारात आने वाली थी। मंगलवार को रिश्तेदार और ग्रामीण जुटे, घर में मंगल गीत गूंजे। बारात की व्यवस्था जुटाते हुए परिजन सो गए। रात 2.30 बजे अचानक घर में अफरा- तफरी मच गई। घर के जिस कमरे में भोजन पकाने का सामान और बेटी के लिए खरीदे सोफा, पलंग, टीवी, अलमारी, वॉशिंग मशीन, ड्रेसिंग टेबल, कूलर व अन्य उपहार सामग्री रखी थी वहां से धुआं और आग की लपटें उठ रही थीं। यहीं पर 55000 रुपए भी नगद रखे थे। परिजन जब तक कुछ समझ पाते आग रौद्र रूप ले चुकी थी। दुल्हन बनी प्रियंका के पिता बेटी के लिए खरीदे उपहार और बारात के स्वागत के सामान को अपनी आंखों से लपटों में समाते देखते रह गए। लोगों ने कोशिश की लेकिन आग भी तब बुझी जब पूरा सामान राख में बदल चुका था।

दुल्हन के पिता खेतान बहादुर की आंखें आग से हुए नुकसान से नहीं बेटी की शादी धूमधाम से करने के सपने के टूटने से डबडबा रही थीं। सब भस्म करने के बाद आग बुझी लेकिन बेटी का ब्याह कैसे होगा, बारातियों का सत्कार कैसे कर पाएंगे प्रियंका के पिता इस चिंता में थे। उन्हें कुछ भी नहीं सूझ रहा था और विवाह वाले घर में मातम जैसी स्थिति दिख रही थी।

विपदा की इस घड़ी में गांव के कृष्णकांत राजपूत और अन्य ग्रामीण जुटे। सबने बेटी प्रियंका की बारात का मान रखने का संकल्प लिया। राजपूत और ग्रामीणों ने तुरंत भोजन का सामान जुटाया। बेटी के पाणिगृहण से लेकर बारात की पंगत और विदाई तक हर व्यवस्था अपने हाथ में ले ली। गांव के लोग सारे गिले- शिकबे भूल लोधी परिवार के साथ ऐसे खड़े थे कि जैसे उनकी बेटी की शादी हो।

खेतान बहादुर भी गांव की सहृदयता देख विभोर थे। शाम को बारात आई तो पूरा गांव पलक पांवड़े बिछाकर आवभगत में जुट गया। पंगत भी वैसी ही दी जैसी दुल्हन के पिता ने सोची थी। गांव भर के लोगों की मौजूदगी में प्रियंका ने फेरे लिए। रेवझां गांव में बुधवार को प्रियंका के विवाह के लिए ग्रामीणों ने जो इंसानियत दिखाई वो न केवल आसपास बल्कि पूरे क्षेत्र में अरसे तक मिसाल बनी रहेगी।

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