scriptखतरे में बुंदेलखंड के बच्चे, 8 माह में 513 गायब, 30 प्रतिशत का तो पता ही नहीं | Human Trafficking Dangers Many Minors Disappeared | Patrika News

खतरे में बुंदेलखंड के बच्चे, 8 माह में 513 गायब, 30 प्रतिशत का तो पता ही नहीं

locationसागरPublished: Sep 11, 2018 05:00:22 pm

Submitted by:

manish Dubesy

ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले भी आ रहे सामने

Human trafficking

Human trafficking

पांच माह पहले हुई थी खिमलासा क्षेत्र की किशोरी की खरीद-फरोख्त, कई मामले तो सुलझ ही नहीं सके
सागर. नाबालिगों की गुमशुदगी का आंकड़ा साल दर साल बढ़ रहा है। हर साल घर से गायब होने वाले बच्चों में से 30 फीसदी वापस लौटकर नहीं आते जिससे उनको अलग-अलग प्रयोजनों से दूसरे प्रदेशों में बेचे जाने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सका। सागर के अलावा टीकमगढ़, दमोह और छतरपुर जिलों से भी जनवरी से अब तक करीब 513 नाबालिग गायब हैं। करीब एक माह पहले खुरई अंचल में एक किशोरी ने रिश्तेदार द्वारा उसे उत्तर प्रदेश में बेचे जाने जबकि खिमलासा थाना क्षेत्र की एक किशोरी ने शादी के नाम पर रुपए लेकर बेचने के आरोप लगाए थे। बण्डा, सुरखी, देवरी, बीना क्षेत्र से भी कुछ लापता किशोरियों का महीनों बाद अब तक कोई पता नहीं चला है।
किशोरियों की गुमशुदगी बढ़ी
जनवरी से अब तक आठ माह में जिले में किशोर-किशोरियों की गुमशुदगी के आंकड़ों में दोगुने से ज्यादा अंतर है। 178 गुमशुदगी दर्ज हुई हैं लेकिन किशोरों की संख्या इनमें से करीब ५५ के आसपास ही है। वर्ष 2015 में गुमशुदगी का आंकड़ा 136 था जो 2016 में 167 और पिछले साल 2017 में 215 तक पहुंच गया था। इन आंकड़ों को देखते हुए इस वर्ष दिसम्बर तक यह संख्या ढाई सौ के आसपास पहुंचने की आशंका है।

सागर, टीकमगढ़, दमोह और छतरपुर जिलों से जनवरी 2018 से अगस्त माह के बीच 513 किशोर-किशोरी लापता हुए हैं। इनमें से करीब 362 बच्चे या तो स्वयं लौट आए या पुलिस द्वारा उन्हें विभिन्न स्थानों से दस्तयाब किया गया। लेकिन अब भी 151 से ज्यादा बच्चों को कोई पता ही नहीं चला है।
रुपए के बदले नाबालिग की खरीद-फरोख्त
13 अपै्रल को खिमलासा के बसाहरी गांव से किशोरी लापता हो गई थी। परिजनों ने गुमशुदगी दर्ज कराई। लगातार तलाश के बाद भी जुलाई तक नहीं मिली। १७ जुलाई को किशोरी के बारे में सूचना मिली जिसके बाद खुरई एसडीओपी रवि प्रकाश भदौरिया ने टीम बनाकर उसकी तलाश की। किशोरी द्वारा किए गए कॉल के आधार पर लोकेशन ट्रेस की और उसे ललितपुर जिले के बूचा गांव से बरामद कर लिया। उसे बसाहरी के रामभरत कुशवाहा, दिनेश पाल व गांव की मुंह बोली रिश्तेदार भागवती अहिरवार ने डोगरा निवासी महेश अहिरवार की बाइक से ललितपुर के ग्राम गोचंवारा में रहने वाले उसके रिश्तेदार धरमा अहिरवार के घर पहुंचाकर बंधक बनाया। यहीं उसका सौदा तय हुआ और शादी के नाम पर उसे १८ हजार रुपए लेकर बेच दिया और किशोरी के साथ मनमानी भी की गई थी।
स्कूली बच्चों की मिसिंग सबसे ज्यादा
आंकड़ों के अनुसार अंचल से लापता होने वालों में सबसे ज्यादा 14 से 17 आयु वर्ग के किशोर-किशोरियों की है। इनमें भी अधिकांश कक्षा 9 से 12 की कक्षाओं में पढऩे स्कूली बच्चे हैं। वापस लौटने वाले बच्चों से पूछताछ के दौरान पढ़ाई में पिछडऩे, माता-पिता, परिजनों की डांट-फटकार, उनकी बात को तवज्जो नहीं मिलने से दुखी या फिर गुस्सा होकर यह कदम उठाते हैं। इसके आलावा विपरीत ***** के प्रति आकर्षण के चलते भी 30-40 फीसदी किशोर-किशोरियां घर छोडऩे की गलती करते हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो