सागर, टीकमगढ़, दमोह और छतरपुर जिलों से जनवरी 2018 से अगस्त माह के बीच 513 किशोर-किशोरी लापता हुए हैं। इनमें से करीब 362 बच्चे या तो स्वयं लौट आए या पुलिस द्वारा उन्हें विभिन्न स्थानों से दस्तयाब किया गया। लेकिन अब भी 151 से ज्यादा बच्चों को कोई पता ही नहीं चला है।
रुपए के बदले नाबालिग की खरीद-फरोख्त
13 अपै्रल को खिमलासा के बसाहरी गांव से किशोरी लापता हो गई थी। परिजनों ने गुमशुदगी दर्ज कराई। लगातार तलाश के बाद भी जुलाई तक नहीं मिली। १७ जुलाई को किशोरी के बारे में सूचना मिली जिसके बाद खुरई एसडीओपी रवि प्रकाश भदौरिया ने टीम बनाकर उसकी तलाश की। किशोरी द्वारा किए गए कॉल के आधार पर लोकेशन ट्रेस की और उसे ललितपुर जिले के बूचा गांव से बरामद कर लिया। उसे बसाहरी के रामभरत कुशवाहा, दिनेश पाल व गांव की मुंह बोली रिश्तेदार भागवती अहिरवार ने डोगरा निवासी महेश अहिरवार की बाइक से ललितपुर के ग्राम गोचंवारा में रहने वाले उसके रिश्तेदार धरमा अहिरवार के घर पहुंचाकर बंधक बनाया। यहीं उसका सौदा तय हुआ और शादी के नाम पर उसे १८ हजार रुपए लेकर बेच दिया और किशोरी के साथ मनमानी भी की गई थी।
स्कूली बच्चों की मिसिंग सबसे ज्यादा
आंकड़ों के अनुसार अंचल से लापता होने वालों में सबसे ज्यादा 14 से 17 आयु वर्ग के किशोर-किशोरियों की है। इनमें भी अधिकांश कक्षा 9 से 12 की कक्षाओं में पढऩे स्कूली बच्चे हैं। वापस लौटने वाले बच्चों से पूछताछ के दौरान पढ़ाई में पिछडऩे, माता-पिता, परिजनों की डांट-फटकार, उनकी बात को तवज्जो नहीं मिलने से दुखी या फिर गुस्सा होकर यह कदम उठाते हैं। इसके आलावा विपरीत ***** के प्रति आकर्षण के चलते भी 30-40 फीसदी किशोर-किशोरियां घर छोडऩे की गलती करते हैं।