आशीर्वाद आश्रय में कपड़े मिलते ही बच्चों के चेहरे खिल उठे। इस अवसर पर आश्रय के संचालक गौरव कुमार, मोदी आर्मी से शैलेन्द्र वैध, निशांत दुबे, सत्यनारायण सोनी, राजू यादव, रीतेश मिश्रा, राजीव जैन, अमित उपाध्याय, संदीप मिश्रा, गुड्डू, लक्ष्मी, नरेन्द्र, लखन, राहुल, सुरेन्द्र ठाकुर, मरई माता मंदिर के राजेश दुबे मौजूद थे।
इसी तरह सीताराम रसोई में आधा सैकड़ा गरीब लोगों को गर्म कपड़े प्रदान किए। सीताराम रसोई के सदस्य इंजीनियर प्रकाश चौबे ने कहा कि पत्रिका के अभियान से लोगों को प्रेरणा मिलेगी। जैन समाज के महामंत्री अनिल नैनधरा, जैन संस्था के अध्यक्ष सुभाष खाद, संयोजक आदेश जैन और निधि जैन ने गरीबों को कंबल बांटे। महामंत्री नैनधरा ने कहा कि आज पत्रिका के माध्यम से इन बेसहारा लोगों से हमारा मिलना हुआ है। आगे भी अभियान में शामिल होकर हम गर्म कपड़े बांटेंगे।
महिलाएं आईं आगे
वैश्य महासम्मेलन जिलाध्यक्ष विनीता केशरवानी, पार्षद किरण केशरवानी, केशरवानी महिला सभा की अध्यक्ष आशा आढ़तिया, समाजसेवी सुनीला सराफ, मीना केशरवानी, डॉ.नमृता फुसकेले, आशा लता गुप्ता, रुक्मिणी केशरवानी और सुधा रूसिया ने भी यहां कंबल बांटे।
वैश्य महासम्मेलन जिलाध्यक्ष विनीता केशरवानी, पार्षद किरण केशरवानी, केशरवानी महिला सभा की अध्यक्ष आशा आढ़तिया, समाजसेवी सुनीला सराफ, मीना केशरवानी, डॉ.नमृता फुसकेले, आशा लता गुप्ता, रुक्मिणी केशरवानी और सुधा रूसिया ने भी यहां कंबल बांटे।
आप भी कर सकते हैं मदद
गर्मी के मौसम में हम पेड़ की छांव में बैठकर राहत ले सकते हैं। बारिश में भी छाता या किसी छत के नीचे छिपकर बच सकते हैं। लेकिन ठंड में अगर गर्म कपड़ों का सहारा न हो तो शरीर कंपकंपा जाता है। सर्दी से बचने गर्म कपड़ों का ही सहारा होता है। लेकिन हमारे आसपास ऐसे बहुत से वंचित और जरूरतमंद लोग हैं, जो पर्याप्त संसाधन नहीं होने से गर्म कपड़ों से वंचित हैं। ऐसे लोग सर्दियों में खुले आकाश के नीचे ठिठुरते हैं। इन्हें गर्म कपड़े उपलब्ध कराने के लिए आप भी ‘पत्रिकाÓ के इस अभियान से जुड़ सकते हैं।
गर्मी के मौसम में हम पेड़ की छांव में बैठकर राहत ले सकते हैं। बारिश में भी छाता या किसी छत के नीचे छिपकर बच सकते हैं। लेकिन ठंड में अगर गर्म कपड़ों का सहारा न हो तो शरीर कंपकंपा जाता है। सर्दी से बचने गर्म कपड़ों का ही सहारा होता है। लेकिन हमारे आसपास ऐसे बहुत से वंचित और जरूरतमंद लोग हैं, जो पर्याप्त संसाधन नहीं होने से गर्म कपड़ों से वंचित हैं। ऐसे लोग सर्दियों में खुले आकाश के नीचे ठिठुरते हैं। इन्हें गर्म कपड़े उपलब्ध कराने के लिए आप भी ‘पत्रिकाÓ के इस अभियान से जुड़ सकते हैं।